भाजपा विरोध की हर आवाज से भयभीत : खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष ने एक्स पर किया पोस्ट
भाजपा विरोध की हर आवाज से भयभीत : खरगे
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नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी और कुछ हालिया घटनाक्रम का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि भाजपा विरोध की किसी भी आवाज से भयभीत है। उन्होंने कहा कि भाजपा को यह पता होना चाहिए कि वर्तमान घटनाक्रम की आड़ में वह तानाशाही को बढ़ावा नहीं दे सकती।

मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘कांग्रेस हमारे सशस्त्र बलों, नौकरशाहों, शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों और उनके परिवारों के साथ खड़ी है। मैं किसी भी चरित्र हनन, बदनामी, ट्रोलिंग, उत्पीड़न, किसी भी व्यक्ति की गैरकानूनी गिरफ्तारी और किसी भी व्यावसायिक प्रतिष्ठान में तोड़फोड़ की निंदा करता हूं, चाहे वह ‘फ्रिंज एलिमेंट’ द्वारा हो या आधिकारिक राज्य मशीनरी के माध्यम से हो।’ उन्होंने कहा कि प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी से पता चलता है कि भाजपा किसी भी विपरीत राय से कितनी भयभीत है।

अशोका यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख अली खान महमूदाबाद को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से संबंधित उनके एक पोस्ट के चलते गिरफ्तार किया गया है।उनके खिलाफ देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालने सहित कड़े आरोपों में दो प्राथमिकी दर्ज की गयी है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘यह एक शृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया है जो हमारे शहीद नौसेना अधिकारी की पत्नी, हमारे विदेश सचिव और उनकी बेटी को निशाना बनाने और भारतीय सेना में सेवारत एक कर्नल के लिए भाजपा के एक मंत्री द्वारा की गयी निंदनीय अपमानजनक टिप्पणियों से शुरू हुई थी।’

उन्होंने दावा किया कि बहादुर सशस्त्र बलों के खिलाफ घृणित बयान देने वाले मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और मंत्री को बर्खास्त करने के बजाय, भाजपा-संघ यह कहानी पेश करने पर तुले हुए हैं कि जो कोई भी बहुलवाद का प्रतिनिधित्व करता है, सरकार पर सवाल उठाता है या राष्ट्र की सेवा की खातिर अपने कर्तव्य का पालन करता है, वह देश के अस्तित्व के लिए खतरा है। खरगे ने कहा, ‘जब राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हो तो सशस्त्र बलों और सरकार का समर्थन करने का मतलब यह नहीं है कि हम सरकार से सवाल नहीं पूछ सकते।’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘कांग्रेस पार्टी के लिए राष्ट्रीय एकता सर्वोच्च है, भाजपा को इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि वह वर्तमान घटनाक्रम की आड़ में तानाशाही को बढ़ावा दे सकती है। लोकतंत्र कायम रहना चाहिए।’

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