

ढाका : बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका वापस भेजने की मांग की है। यह पहली बार है जब बांग्लादेश ने भारत से औपचारिक तौर पर हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है। भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि है। हसीना पर छात्र विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हुई मौतों का आरोप है और अंतरिम सरकार उन पर मुकदमा चलाना चाहती है। हसीना पर हत्या समेत 51 मामले दर्ज हैं, इनमें से 42 मामले हत्या के हैं। अंतरिम सरकार में विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने सोमवार को कहा कि भारत सरकार को एक राजनयिक संदेश भेजा है, जिसमें कहा गया है कि बांग्लादेश में न्यायिक प्रक्रिया के लिए हसीना को वापस ढाका भेजा जाए। मालूम हो कि वे छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के बीच देश छोड़कर भारत आ गयी थीं और 5 अगस्त से भारत में निर्वासन में रह रही हैं।
प्रत्यर्पण संधि के तहत यह संभव-गृह मंत्रालय : इससे पहले सोमवार को ही गृह मंत्रालय के सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी ने कहा कि उनके कार्यालय ने भारत से अपदस्थ प्रधानमंत्री हसीना के प्रत्यर्पण के लिए विदेश मंत्रालय को एक पत्र भेजा है। हमने हसीना के प्रत्यर्पण के संबंध में विदेश मंत्रालय को एक पत्र भेजा है। प्रक्रिया अभी जारी है। आलम ने कहा कि ढाका और नयी दिल्ली के बीच प्रत्यर्पण संधि (कैदियों की अदला-बदली का समझौता) पहले से ही मौजूद है और इस संधि के तहत हसीना को बांग्लादेश वापस लाया जा सकता है।
आईसीटी ने जारी किया है गिरफ्तारी वारंट : मालूम हो कि ढाका स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने 'मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार' के लिए हसीना और उनकी कैबिनेट में शामिल मंत्रियों, सलाहकारों और सैन्य एवं प्रशासनिक अधिकारियों के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं।
प्रत्यर्पण संधि की शर्तें और भारत के विकल्प: यूनुस सरकार की मांग पर भारत क्या रुख अपनाता है, इस पर शेख हसीना का भविष्य तय होगा। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने पिछले महीने की ये कहा था कि हसीना के प्रत्यर्पण के लिए भारत से मांग की जाएगी। भारत और बांग्लादेश के बीच इस तरह के मामले 2013 में हस्ताक्षरित और 2016 में संशोधित प्रत्यर्पण संधि ते तहत आते हैं। संधि में कहा गया है कि अगर अपराध राजनीतिक प्रकृति का है तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है। हालांकि हत्या जैसे अपराधों को संधि के प्रयोजनों के लिए 'राजनीतिक प्रकृति के अपराध के रूप में नहीं माना जायेगा। भारत के प्रत्यर्पण से इनकार करने का एक आधार यह हो सकता है कि आरोप 'गलत नीयत से' लगाए गए हैं। ऐसे में हसीना की वापसी का मुद्दा एक जटिल कानूनी मामला है। हसीना के प्रत्यर्पण की मांग से भारत और बांग्लादेश के राजनयिक संबंधों पर भी असर पड़ सकता है।