कोलकाता : दिवाली के त्योहार पर मुंह मीठा कराने की परंपरा है। देश के विभिन्न बाजार में मिठाई की दुकानें सज-धज कर तैयार हैं। बाजार में रंग-बिरंगी से लेकर महंगी और सस्ती सभी प्रकार की मिठाइयां हैं, लेकिन सस्ते दामों वाली मिठाई लोगों की सेहत को खराब करती है। कोलकाता में पिछले 24 साल से मिठाई की दुकान चला रहे राहुल घोष ने बताया कि जो मिठाई ज्यादा सफेद दिखती है, वो मिलावटी होती है क्योंकि मावा ज्यादा सफेद नहीं होता हैं। मिठाई को हाथ में लेकर देखें, अगर रंग लगता है, तो उसे खरीदने से बचें। साथ ही उसकी गंध भी चेक करें। इसके अलावा, मिठाई को खरीदते समय यह भी देखें कि कहीं उसमें कोई फंगस तो नहीं लग रही है। मिठाई को तोड़कर चेक करें कि कहीं उसमें से तार जैसा तो नहीं निकल रहा है। यह सब बातें मिठाई खराब होने के लक्षण हैं। साथ ही दुकान में मिठाई के ऊपर अगर मिठाई रखी हुई है तो समझें कि वो मिलावटी है।
क्यों होती है मिठाइयों में मिलावट
मिठाई कारोबारियों की मानें तो दूध महंगा होने से मिठाई बनाने पर खर्च ज्यादा आता है। ऐसे में मिठाइयों की कीमत कम कर के बेचने के लिए हलवाई उसमें मिलावट करते हैं ताकि ज्यादा मात्रा में बिक्री हो और मुनाफा हो सके। ऐसे में असली और नकली मिठाई का फर्क नहीं पता चलता है। पनीर बनाने के लिए अक्सर सिंथेटिक दूध का इस्तेमाल की बातें सुनी जाती है। सिंथेटिक दूध में यूरिया कास्टिक सोडा डिटर्जेंट आदि का इस्तेमाल होता है।