नई दिल्ली: आज सशस्त्र सेना झंडा दिवस (Armed Forces Flag Day) है। देश की सशस्त्र सेनाएं हमारी ताकत हैं। बॉर्डर पर 24 घंटे सेना तैनात रहती है। आर्म्ड फोर्सेज की वजह से हम आप सुख चैन की नींद सो पाते हैं। सेना के वीर जवान कभी-कभी बहादुरी के साथ दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद भी हो जाते हैं। देश के प्रति अपने प्यार को दर्शाते हुए सशस्त्र बल किसी भी चीज़ से पहले देश और लोगों को प्राथमिकता देते हैं। यहां तक कि अपने जीवन को भी दांव पर लगा देते हैं।
क्यों मनाते हैं सशस्त्र सेना झंडा दिवस ?
हर साल सात दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस सेनाओं की बेहतरी के लिए धन इकट्ठा करने और देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले लोगों के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। दिन लोग शहीद हुए जवानों को याद करते हैं और उनके परिजनों की मदद के लिए आगे आते हैं।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस का इतिहास
हर साल सशस्त्र सेना झंडा दिवस 7 दिसंबर को मनाया जाता है। 28 अगस्त 1949 को रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की कि सैनिकों, नेवी और वायुसैनिकों के सम्मान में 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस के रूप में मनाया जाएगा। यह लोगों से बैज और स्टिकर बेचकर सशस्त्र बलों की बेहतरी के लिए धन इकट्ठा करने का भी आग्रह करता है। इस दिन लोग युद्ध पीड़ितों और पूर्व सैनिक कर्मियों की भलाई के लिए पुनर्वास विकल्पों का पता लगाने के लिए एक साथ आते हैं।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस महत्व
सशस्त्र बल देश के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए अपनी जान की बाजी लगा देते हैं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम उनके योगदान के लिए उन्हें धन्यवाद दें। इस दिन, लोग शहीदों को सम्मान देते हैं और देश की सेना, नौसेना और वायु सेना में जवानों के कल्याण और सहायता प्रदान करने में सहायता करते हैं।