आखिर महुआ मोइत्रा ने ऐसा क्या कह दिया कि …

आखिर महुआ मोइत्रा ने ऐसा क्या कह दिया कि …
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नई दिल्ली : तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने बुधवार को महिला आरक्षण बिल पर जोरदार भाषण दिया। लोकसभा में बोलते हुए महुआ मोइत्रा ने महिला आरक्षण बिल पर हो रही देरी को लेकर अपनी निराशा जाहिर की। उन्होंने कहा कि आज मेरे लिए गर्व और शर्म की बात है कि आजादी के 75 साल बाद मैं संसद में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा में शामिल हो रही हूं। ये मेरे लिए गर्व की बात है कि मैं टीएमसी से जुड़ी हूं एक ऐसी पार्टी जहां संसद पहुंचने वाले सदस्यों में 37 फीसदी महिलाएं हैं, लेकिन ये मेरे लिए दुख की बात है कि मैं उस संसद से ताल्लुक रखती हूं जहां मात्र 15 फीसदी सदस्य महिलाएं हैं जो अंतरराष्ट्रीय मानकों से कम है। तृणमूल कांग्रेस सांसद ने मुस्लिम और दलितों का जिक्र करते हुए कहा कि महिला सांसदों में मुस्लिम और दलितों का प्रतिनिधित्व न के बराबर है। 1952 से 2004 तक केवल 8 मुस्लिम महिलाएं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुईं। कई बार-बार निर्वाचित हुईं। इस समय केवल 2 मुस्लिम महिलाएं लोकसभा में हैं और दोनों पश्चिम बंगाल से टीएमसी की हैं।
महिलाओं की उम्मीदवारी बेहद कम
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले आम चुनावों में पुरुष और महिला मतदान की संख्या (क्रमशः 66.7% और 66.8%) लगभग समान थी, लेकिन महिलाओं की उम्मीदवारी बेहद कम 9% थी। महुआ मोइत्रा ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आपको इस बिल का नाम वीमेन रिजर्वेशन रिशेड्यूलिंग बिल रख देना चाहिए, क्योंकि इसका एजेंडा देरी करना है। उन्होंने कहा कि इस संसद में कब 33 फीसदी महिला सांसद कब बैठेंगी इसकी जानकारी अभी नहीं है।
क्या महिलाओं का महत्व गायों से भी कम?
बिल को लागू करने में देरी करने पर महुआ मोइत्रा ने कहा कि, जब यह सरकार गायों की रक्षा करना चाहती थी, तो आपने गायों की संख्या गिनने का इंतजार नहीं किया, आपने गौशालाएं बनानी शुरू कर दीं। उन्होंने पूछा कि क्या महिलाएं उनसे भी कम महत्व रखती हैं? वहीं, सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा कि उनकी पार्टी की हमेशा से मांग रही है कि पिछड़ा वर्ग महिला तथा अल्पसंख्यक महिला को नारी शक्ति वंदन अधिनियम में शामिल किया जाए और इसमें उनको आरक्षण दिया जाए। उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा में यह महिला आरक्षण बिल तो लागू होगा लेकिन हम पूछना चाह रहे हैं कि राज्यसभा और विधान परिषद में लागू होगा कि नहीं? आने वाले चुनाव में यह लागू हो पाएगा या नहीं और 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में ये लागू हो पाएगा की नहीं? सवाल ये भी है कि जनगणना कब होगा और परिसीमन कब होगा?

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