नई दिल्ली: सिंगापुर में नए राष्ट्रपति का चुनाव हुआ है। भारतीय मूल के थरमन शनमुगरत्नम ने पद भार संभाला है। इसी के साथ सिंगापुर भी उन कई देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है जहां के बड़े पद पर भारतीय मूल के लोगों का दबदबा है। शुक्रवार को 9वें राष्ट्रपति के रूप में शनमुगरत्नम चुने गए हैं। उनका कार्यकाल छह साल तक रहेगा। करीब 70 फीसदी वोट पाकर जीत हासिल की है।
शनिवार (02 सितंबर) को प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने थर्मन को बधाई दी। उन्होंने कहा कि सिंगापुर के लोगों ने थरमन शनमुगरत्नम को अगला राष्ट्रपति चुना है। थरमन भारतीय विरासत के कई नेताओं में से हैं, जो वैश्विक स्तर पर इतने ऊंचे पद पर चुने गए हैं। उन्होंने कहा कि शनमुगरत्नम की जीत दुनिया भर में भारतीयों के बढ़ते प्रभाव का प्रतीक है।
दुनिया भर में भारतीय मूल के नेताओं का प्रभाव
अमेरिका: अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति भारतवंशी महिला कमला हैरिस बनी हैं। इनकी सफलता के पीछे अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों का समर्थन है। इससे पहले वो कैलिफोर्निया की सीनेटर रहीं।
ब्रिटेन: पिछले साल ब्रिटने में भारतीय मूल के ऋषि सुनक प्रधानमंत्री बने थे। उनकी गृह सचिव भी भारतीय मूल की हैं। इनका नाम सुएला ब्रेवरमैन है। यह गोवा मूल की है। इनके अलावा एक और मंत्री क्लेयर कॉटिन्हो भी गोवा मूल के हैं।
आयरलैंड: लियो एरिक वराडकर आयरलैंड के प्रधानमंत्री (ताओसीच) हैं। यह भी भारतीय मूल के हैं। जानकारी के मुताबिक उनके पिता का जन्म मुंबई में हुआ था और 1960 के दशक में यूनाइटेड किंगडम चले गए थे।
पुर्तगाल: साल 2015 से पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा हैं। रिपोर्ट के अनुसार वह आधे भारतीय और आधे पुर्तगाली हैं।
कनाडा: कनाडा में संघीय मंत्री भारतीय मूल की अनीता आनंद हैं। उनके अलावा कनाडा के पीएम के मंत्रिमंडल में दो और भारतीय मूल के सदस्य हरजीत सज्जन और कमल खेरा हैं।
त्रिनिदाद और टोबैगो: यहां की निर्वाचित राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू हैं। इनका जन्म एक इंडो-ट्रिनिडाडियन परिवार में हुआ था।
मॉरीशस: यहां पर भारतीय मूल के नेताओं का प्रभाव हैं। यहां साल 2017 से प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ है। इसके अलावा यहां के राष्ट्रपति साल 2019 से पृथ्वीराज सिंह रूपन है।
सूरीनाम: साल 2020 से यहां के राष्ट्रपति चंद्रिकाप्रसाद संतोखी हैं। इनका जन्म 959 में लेलीडॉर्प में एक इंडो-सूरीनाम हिंदू परिवार में हुआ था।
साल 2021 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर के 15 देशों में सार्वजनिक सेवा के उच्च पदों पर भारतीय विरासत के 200 से अधिक नेता शामिल हैं। इनमें से 60 से अधिक कैबिनेट पदों पर हैं।