अडाणी से जुड़े ‘घोटाले’ छिपा नहीं सकते : रमेश

जयराम रमेश ने खबरो का दिया हवाला
अडाणी से जुड़े ‘घोटाले’ छिपा नहीं सकते : रमेश
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नई दिल्ली : कांग्रेस ने मंगलवार को कुछ खबरों का हवाला देते हुए दावा किया कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अडाणी समूह में हिस्सेदारी रखने वाले 2 फंड को शेयर होल्डिंग संबंधी जानकारी न देने के लिए दंड और लाइसेंस रद्द करने की चेतावनी दी है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि सरकार चाहे जितनी कोशिश कर ले, भारत के सबसे बड़े घोटाले को छिपाया नहीं जा सकता, सच्चाई सामने आ ही रही है।

सेबी या अडाणी समूह की ओर से फिलहाल इस दावे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। हालांकि अतीत में इस कारोबारी समूह ने अनियमितता और भ्रष्टाचार के सभी आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज किया है। रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘डबल इंजन वाली मोदानी गाथा जारी है। बताया जा रहा है कि सेबी ने ‘एलारा कैपिटल’ द्वारा नियंत्रित मॉरीशस स्थित दो ऑफशोर फंड - एलारा इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड और वेस्पेरा फंड को शेयरहोल्डिंग संबंधी जानकारी न देने के लिए दंड और लाइसेंस रद्द करने की चेतावनी दी है।’

उन्होंने दावा किया कि इन फंड पर ‘स्टॉक पार्किंग’ का आरोप है यानी इन्हें अडाणी समूह द्वारा अपनी ही कंपनियों में बेनामी निवेश के लिए मुखौटे के रूप में इस्तेमाल किया गया, जो सेबी के नियमों का उल्लंघन है। रमेश का कहना है, ‘बताया जा रहा है कि इन दोनों फंड्स ने अपराध स्वीकार किए बिना और टोकन शुल्क का भुगतान किए बिना मामले को निपटाने की पेशकश की है, जो ‘मोदानी’ के लिए सबसे सुविधाजनक तरीका है।’ उनके मुताबिक, दिसंबर, 2022 में इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड का 98.78 प्रतिशत निवेश तीन अडाणी कंपनियों में था, जबकि जून 2022 में वेस्पेरा फंड का 93.9 प्रतिशत निवेश केवल अडाणी एंटरप्राइजेज में था।

रमेश ने आरोप लगाया कि सेबी की कार्रवाई ऊपर से भले ही आगे बढ़ती दिखे, लेकिन हकीकत यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस जांच को 2 महीने में पूरा करने का निर्देश दिया था और अब दो साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। उन्होंने कहा कि इस देरी से फायदा सिर्फ ‘मोदानी’ को हुआ है। कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘सरकार चाहे जितनी कोशिश कर ले, भारत के सबसे बड़े घोटाले को छिपाया नहीं जा सकता, सच्चाई सामने आ ही रही है। और अगर सच्चाई भारत की समझौता कर चुकी संस्थाओं से सामने नहीं आई, तो वह विदेशी न्यायिक व्यवस्थाओं के माध्यम से जरूर सामने आएगी - जिन्हें ‘मोदानी’ न खरीद सकते हैं, न धमका सकते हैं और न ही अपने साथ मिला सकते हैं।’

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