

शिमला : हिमाचल प्रदेश में पिछले महीने मानसून की शुरुआत के बाद से बादल फटने, अचानक बाढ़ आने, भूस्खलन के कारण 43 लोगों की मौत हो गयी और 37 लोग लापता बताये जा रहे हैं। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
मानसून ने 20 जून को राज्य में दस्तक दी थी और तब से अब तक मौसम की मार से 5,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। अधिकारियों ने बताया कि 43 में से 14 लोगों की मौत बादल फटने, 8 लोगों की मौत अचानक बाढ़ में बह जाने और एक व्यक्ति की मौत भूस्खलन में हुई. जबकि सात लोग डूब गए। उन्होंने बताया कि सबसे अधिक मौतें मंडी (17) जिले में हुईं, जहां मंगलवार को बादल फटने, अचानक बाढ़ आने और भूस्खलन की 10 घटनाओं ने कहर बरपाया। अधिकारियों ने बताया कि अकेले मंडी जिले से लापता 31 लोगों की तलाश अब भी जारी है। एनडीआरएफ के जवानों ने शुक्रवार को भारी बारिश के बाद भारद, देजी, पयाला और रुकचुई गांवों में फंसे 65 लोगों को बचाया।भारी बारिश के बाद भूस्खलन से सड़कें क्षतिग्रस्त हो गयीं और नदियां उफान पर हैं, जिससे कई गांवों का संपर्क टूट गया तथा लोगों के घरों व खेतों में मलबा जमा हो गया। अधिकारियों ने बताया कि 150 से अधिक घर, 106 मवेशी शेड, 31 वाहन, 14 पुल और कई सड़कें क्षतिग्रस्त हो गयी हैं, जबकि विभिन्न घटनाओं में 164 मवेशियों की मौत हो गयी। उन्होंने बताया कि सुरक्षित बाहर निकाले गए 402 लोगों के लिए पांच राहत शिविर बनाए गए हैं, जिनमें से 348 लोग अकेले मंडी जिले से हैं। इस बीच, राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (एसईओसी) ने बताया कि मंडी में 156, सिरमौर में 49 और कुल्लू जिलों में 36 सहित 280 सड़कें वाहनों के आवागमन के लिए बंद कर दी गयी हैं। राज्य में कुल 332 ट्रांसफार्मर और 784 जलापूर्ति योजनाएं बाधित हैं। स्थानीय मौसम विभाग ने ‘ऑरेंज’ अलर्ट जारी किया है, जिसमें शनिवार से मंगलवार तक राज्य के अलग-अलग हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी दी गयी है।