659 करोड़ का सौदा: सेना को मिलेगी 7.62 मिमी राइफल्स के लिए हाई-टेक नाइट साइट्स

समझौता ₹659.47 करोड़ की लागत से मेसर्स एमकेयू लिमिटेड (प्रमुख सदस्य) और मेसर्स मेडबिट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के संघ के साथ किया गया है।
659 करोड़ का सौदा: सेना को मिलेगी 7.62 मिमी राइफल्स के लिए हाई-टेक नाइट साइट्स
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कोलकाता : आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी क्षमताओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को भारतीय सेना के लिए 7.62 x 51 मिमी असॉल्ट राइफलों हेतु उन्नत नाइट साइट्स (इमेज इंटेंसिफायर) और सहायक उपकरणों की खरीद का अनुबंध किया। यह समझौता ₹659.47 करोड़ की लागत से मेसर्स एमकेयू लिमिटेड (प्रमुख सदस्य) और मेसर्स मेडबिट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के संघ के साथ किया गया है।

इन अत्याधुनिक नाइट साइट्स के माध्यम से भारतीय सैनिकों की रात में युद्ध क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यह साइट्स एसआईजी 716 असॉल्ट राइफलों की लंबी प्रभावी रेंज का पूरा लाभ उठाने में सक्षम बनाएंगी, जिससे सैनिक कम रोशनी या तारों की रोशनी में भी 500 मीटर की दूरी तक लक्ष्य को सटीकता से भेद सकेंगे। मौजूदा पैसिव नाइट साइट्स (PNS) की तुलना में ये नई साइट्स तकनीकी रूप से अधिक सक्षम और आधुनिक हैं।

यह अनुबंध ‘भारतीय-आईडीडीएम’ (Indigenously Designed, Developed and Manufactured) श्रेणी के अंतर्गत किया गया है, जिसमें 51% से अधिक स्वदेशी सामग्री शामिल है। इससे न केवल घरेलू रक्षा उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि देश की रक्षा विनिर्माण क्षमता में भी महत्वपूर्ण बढ़ोतरी होगी।

इस परियोजना से एमएसएमई क्षेत्र को भी बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है, क्योंकि नाइट साइट्स के निर्माण में शामिल कई घटक और कच्चा माल देश में ही निर्मित होंगे। इससे देश में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और स्थानीय उद्योगों को मजबूती मिलेगी। रक्षा मंत्रालय का यह कदम न केवल भारतीय सेना को तकनीकी रूप से सशक्त बनाएगा, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादन को नई गति भी देगा। इस अनुबंध से भारतीय सैनिकों को आधुनिक युद्धक्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुरूप उन्नत तकनीकी सहायता प्राप्त होगी, जिससे उनकी रात में लड़ने की क्षमता और सटीकता दोनों में उल्लेखनीय सुधार होगा।

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