

कोहिमा : नागालैंड सरकार की अपील को दरकिनार करते हुए पांच नागा संगठनों से जुड़े हजारों आदिवासी लोगों ने पिछले दिनों नागालैंड सिविल सचिवालय के बाहर राज्य की नौकरी आरक्षण नीति की समीक्षा की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
आरक्षण नीति की समीक्षा पर 5-जनजाति समिति (सीओआरआरपी) के बैनर तले, प्रदर्शनकारियों ने या तो 1977 से लागू मौजूदा नौकरी आरक्षण नीति को रद्द करने या इन पांच प्रमुख जनजातियों को रिक्त पदों को पुनः आवंटित करने की मांग की। पांच जनजातियों के संगठन सीओआरआरपी में पांच नागा जनजाति संगठन शामिल हैं- अंगामी पब्लिक ऑर्गनाइज़ेशन, आओ सेंडेन, लोथा होहा, रेंगमा होहो और सुमी होहून, जो पांच प्रमुख आदिवासी समुदायों आओ, अंगामी, लोथा, रेंगमा और सुमी का प्रतिनिधित्व करते हैं। पारंपरिक परिधानों में सजे प्रदर्शनकारियों ने बैनर और तख्तियां लहराईं जिन पर लिखा था, ‘हम 48 वर्षों से चली आ रही अनिश्चितकालीन आरक्षण नीति का विरोध करते हैं’, ‘न्यूनतम कट-ऑफ अंकों के बिना पिछड़ी जनजाति (बीटी) आरक्षण व्यवस्था का मजाक है’, ‘48 वर्षों में बीटी आरक्षण अपने इच्छित उद्देश्य से बाहर हो गया है’, ‘बीटी आरक्षण पर 48 वर्षों का धैर्य असहनीय हो गया है।’ 1977 की आरक्षण नीति को ‘पुरानी और दमनकारी’ बताते हुए, सीओआरआरपी ने इसे निरस्त करने या अप्रयुक्त कोटे को पांच जनजातियों में पुनर्वितरित करने की मांग की। नागालैंड सरकार ने मंगलवार को पांच जनजातियों के सीओआरआरपी से हड़ताल वापस लेने की अपील की थी और कहा था कि मामले की पहले से ही समीक्षा की जा रही है।