

कोलकाता : राज्य में बाल विवाह रोकने के उद्देश्य से पश्चिम बंगाल सरकार लड़कों के साथ-साथ लड़कियों में भी इस सामाजिक प्रथा के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करने पर जोर देगी। महिला एवं बाल विकास तथा सामाजिक कल्याण मंत्री डॉ. शशि पांजा ने किशोर सशक्तीकरण पर राज्य स्तरीय परामर्श में कहा, ‘केवल लड़कियां ही नहीं, लड़कों को भी कम उम्र में विवाह के दुष्प्रभावों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए तथा उन्हें विवाह की कानूनी उम्र से पहले विवाह करने से हतोत्साहित किया जाना चाहिए।’ इस परामर्श में बाल विवाह को समाप्त करने के लिए जिलों में मिलकर काम कर रहे विभिन्न विभागों के सरकारी अधिकारियों ने भाग लिया।
41% लड़कियों की शादी हो जाती है कम उम्र में
मंत्री ने उपस्थित अधिकारियों से आग्रह किया कि वे तीन वर्ष पूर्व जिला कार्य योजना तथा उसके बाद बाल विवाह रिपोर्टिंग एवं ट्रैकिंग तंत्र की शुरूआत के बाद से इस समस्या से लड़ने में अपने अनुभव साझा करें। 2020-21 में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस) में राज्य ने बताया कि 41% से अधिक लड़कियों की शादी कम उम्र में हो जाती है। कार्यक्रम में उपस्थित अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट व अन्य अधिकारियों ने कहा कि कई लड़कों की शादी 21 वर्ष से कम उम्र में हो रही है। डॉ. पांजा ने ‘पश्चिम बंगाल में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश’ जारी करते हुए कहा, ‘समाज में जागरूकता पैदा करना इसे रोकने की कुंजी है। इसके अलावा, लड़कियों और महिलाओं के साथ बाल विवाह पर होने वाली बैठकों में पुरुषों और लड़कों को अधिक संख्या में शामिल किया जाना चाहिए।’
यूनिसेफ के सहयोग से राज्य ने तैयार की योजना
राज्य सरकार ने यूनिसेफ के सहयोग से बाल विवाह रोकने के लिए 2022 में जिला कार्य योजना तैयार की है। यूनिसेफ ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि डॉ. पांजा, प्रधान सचिव संघमित्रा घोष, पश्चिम बंगाल में यूनिसेफ के प्रमुख डॉ. मोनजूर हुसैन और अन्य अधिकारियों ने जिला अधिकारियों की सफलताओं और चुनौतियों के बारे में सुना। इस बीच, उन्होंने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, स्कूल शिक्षा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, तकनीकी शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल विकास विभागों के अधिकारियों से इस समस्या से अधिक सहानुभूतिपूर्वक निपटने को कहा, क्योंकि आज किशोर मोबाइल फोन पर ऑनलाइन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित कई प्रलोभनों और विचलित करने वाली चीजों के संपर्क में हैं। मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि कन्याश्री परियोजना अब किशोरियों को ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में सशक्त बना रहा है, साथ ही उन्हें स्कूल में पढ़ते रहने और शादी न करने के लिए प्रेरित भी कर रहा है।
सबसे अधिक बाल विवाह पूर्व मिदनापुर में
एनएफएचएस-5 में बताया गया कि अधिकतम बाल विवाह पूर्व मेदिनीपुर (57%) में हुए, उसके बाद पूर्व बर्दवान (50%) तथा जलपाईगुड़ी में सबसे कम 18% बाल विवाह हुए। विभाग की प्रधान सचिव संघमित्रा घोष ने कहा कि राज्य सरकार ने यूनिसेफ की मदद से जिलों से डेटा एकत्र करने और वास्तविक समय की स्थिति को दर्शाने के लिए 2023 में बाल विवाह रिपोर्टिंग और ट्रैकिंग तंत्र शुरू किया है और अधिकारियों से इसका नियमित रूप से उपयोग करने का आग्रह किया है। इस परामर्श को ‘कार्रवाई के लिए एक नया आह्वान’ बताते हुए, पश्चिम बंगाल में यूनिसेफ के प्रमुख डॉ. मोनजूर हुसैन ने कहा कि किशोरों के समग्र विकास के लिए सभी संबंधित हितधारकों द्वारा ठोस, समन्वित और बहु-क्षेत्रीय कार्रवाई की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘हानिकारक मानदंडों को चुनौती देने तथा लड़कियों और लड़कों के सशक्तिकरण को समर्थन देने के लिए प्रमुख सामुदायिक प्रभावशाली व्यक्तियों, पंचायत सदस्यों, स्वयं सहायता समूहों, धार्मिक नेताओं, शिक्षकों, छात्रों, युवाओं और किशोरों की भागीदारी आवश्यक है।’