51 शक्तिपीठों में से एक है कोलकाता का Kalighat Temple, मां के …

51 शक्तिपीठों में से एक है कोलकाता का Kalighat Temple, मां के …
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कोलकाता : वैसे तो कोलकाता की दुर्गा पूजा का अंदाज ही निराला और काफी भव्य होता है। यहां के पंडालों को देखने के लिए तो देश-विदेश से लोग आते हैं। दरअसल, कोलकाता में दुर्गा पूजा पंडाल किसी ना किसी थीम पर बेस्ड होते हैं तो श्रद्धालुओं को काफी आकर्षित करते हैं। हालांकि कोलकाता में कई प्राचीन मंदिर भी स्थित हैं। यहां के मंदिरों में भक्तों की असीम आस्था है। देश ही नहीं विदेश से भी लोग इन मंदिरों में दर्शनार्थ के लिए आते हैं। कोलकाता का ऐसा ही एक प्रसिद्ध मंदिर है काली मंदिर, इसे कालीघाट के नाम से भी जाना जाता है। 51 शक्तिपीठों में से एक कालीघाट मंदिर को भारत का सबसे सिद्ध काली मंदिर कहा जाता है। इस शक्तिपीठ में स्थित प्रतिमा की प्रतिष्ठा कामदेव ब्रह्मचारी ने की थी। इस मंदिर की भक्तों के बीच काफी महत्वता है। हर साल बड़ी संख्या में देवी के भक्त मंदिर में दर्शनों के लिए आते हैं।

51 शक्तिपीठों में से एक है कालीघाट मंदिर

पौराणिक कथाओं के अनुसार कोलकाता के कालीघाट मंदिर में माता सती के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था तब से ही इसे शक्तिपीठ कहा जाने लगा। गौरतलब है कि शक्तिपीठ वे स्थान हैं जहां माता सती की मृत देह के अंग गिरे थे। ये पवित्र स्थान भारत ही नहीं बांग्लादेश व नेपाल में भी स्थित हैं। कोलकाता में कालीघाट मंदिर का निर्माण सन् 1809 में हुआ था। इस मंदिर को शहर के सबर्ण रॉय चौधरी नाम के धनी व्यापारी के सहयोग से पूरा किया गया था। वहीं कालीघाट मंदिर में गुप्त वंश के कुछ सिक्के भी मिले थे जिसके बाद ये पता चला कि गुप्त काल के दौरान भी इस मंदिर में श्रद्धालुओं का आना-जाना रहता था।

कालीघाट मंदिर में देवी की अद्भुत प्रतिमा स्थापित है
कोलकाता के कालीघाट मंदिर में देवी काली की प्रचण्ड रूप की प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा में देवी काली भगवान शिव की छाती पर पैर रखे नजर आ रही हैं और उनके गले में नरमुंडों की माला है, उनके हाथ में कुछ कुल्हाड़ी और कुछ नरमुंड हैं, कमर में कुछ नरमुंड भी बंधे हुए हैं। उनकी जीभ बाहर निकली हुई है और जीभ से कुछ रक्त की बूंदे टपक रह हैं।गौरतलब है कि प्रतिमा में मां काली की जीभ स्वर्ण से बनी हुई है।

पहले भागीरथी के किनारे था कालीघाट मंदिर
कोलकाता का कालीघाट मंदिर पहले हुगली नदी (भागीरथी) के किनारे स्थित हुआ करता था लेकिन समय के साथ भागीरथी दूर होती चली गई और अब कालीघाट मंदिर आदिगंगा नहर के किनारे स्थित है तो अंतत: हुगली नदी से जाकर मिलती है।

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