World Post Day: जब कोलकाता में खुला था देश का पहला ‘डाक’

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नई दिल्ली: आज 'वर्ल्ड पोस्ट डे' है। 9 अक्टूबर को हर साल वर्ल्ड पोस्ट डे मनाया जाता है। इसके पीछे का इतिहास दिलचस्प है। स्विट्जरलैंड में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) की स्थापना हुई थी। इसी के बाद से इस दिन को मनाने के लिए प्रस्ताव जारी किया गया था। हर साल 150 से ज्यादा देश अलग-अलग तरीको से 'विश्व डाक दिवस' मनाते हैं। कुछ देशों में विश्व डाक दिवस को अवकाश के रूप में भी मनाया जाता है।

'वर्ल़्ड पोस्ट डे' का इतिहास
9 अक्टूबर के दिन साल 1874 में अक्टूबर में  स्विट्जरलैंड की कैपिटल बर्न में 22 देशों की साझेदारी से यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) का गठन हुआ था। ये संस्थान डाक विभाग और पोस्टल सर्विस के लिए काम करने वाला अपनी तरह का पहला इंटरनेशनल संस्थान था। 1969 को टोक्यो में आयोजित यूपीयू के ही एक सम्मेलन में, इस दिन को 'वर्ल्ड पोस्ट डे' मनाए जाने की घोषणा हुई। दुनिया का पहला डाक-टिकट ब्रिटेन का ही 'पेन्नी ब्लैक' था। रोलैंड हिल द्वारा ईजाद किये हुए इस डाक-टिकट की कीमत थी एक पेन्नी। यह पोस्टेज की कीमत थी, जिसे भी चिट्ठी भेजनी होती, उसे इतनी रकम देनी होती।

प्राचीन ग्रीस और मिस्र में घुड़सवार संदेशों को ले जाया करते थे। पत्र भेजने का यह तरीका लम्बे समय तक चलता रहा, जब तक आधिकारिक रूप से डाक व्यवस्था समाज में नहीं आई। ब्रिटेन के शासक हेनरी सप्तम द्वारा स्थापित 'रॉयल मेल' को 31 जुलाई, 1635 में जनता को सौंपा गया। उस जमाने में लोग चिट्ठियां 'पिलर बॉक्स' में डाला करते थे। फिर जब 1842 में पोलैंड ने सार्वजनिक पोस्ट बॉक्स की शुरुआत की, तब चिट्ठी को इन डिब्बों में डाला जाने लगा। धीरे-धीरे डाक में मेल कोच, मनी ऑर्डर, टेलीग्राफ और स्टाम्प जुड़ गया।

कोलकाता में है पहला पोस्ट ऑफिस
भारत में आधुनिक डाक विभाग की शुरुआत 18 वीं सदी से पहले हुई। भारत में पहला पोस्ट ऑफिस कोलकाता में 1774 में  खोला गया था। पोस्ट दुनिया का सबसे बड़ा लॉजिस्टिक नेटवर्क है। 1774 में ही कोलकता GPO की स्थापना हुई। इसके साथ ही उसी सार रेल डाक सेवा की शुरुआत की गई। 1774 में ही भारत से ब्रिटेन और चीन के लिए समुद्री डाक सेवा की शुरुआत हुई।

क्या है इस साल की थीम
 Together for Trust: Collaborating for a safe and connected future। जिसका मतलब है कि एक सुरक्षित भविष्य के लिए एक दूसरे का सहयोग करना होगा।

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