ड्रम और माइकों की आवाज को लेकर कोर्ट ने की पीसीबी की खिंचाई

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सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : रात होते ही आवाज की तीव्रता भी बढ़ रही है। कभी तेज आवाज में माइक तो कभी ड्रम की आवाज के कारण लोगों को काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। शहर में ध्वनि प्रदूषण काफी बढ़ गया है। विशेष कर पार्क स्ट्रीट में रात के समय में आवाज सीमा से बाहर हाे जा रही है। कोलकाता काे इस ध्वनि प्रदूषण से बचाने के लिये हाई कोर्ट में एक महिला ने मामला दायर किया था। म​हिला का नाम शगुफ्ता सुलेमान है। हाई कोर्ट में महिला ने याचिका में कहा था कि पार्क स्ट्रीट में रोज ही काेई ना कोई उत्सव होता है। कभी माइक पर गाने बजते हैं तो कभी ड्रम बजाकर लोग हो-हल्ला करते हैं। रात भर कुछ इसी तरह गाना-बजाना चल रहा है। माइक की आवाज से लोगों का जीना दुभर हो जा रहा है। मोहर्रम आने वाला है और आवाज की तीव्रता और भी बढ़ सकती है। ऐसे में तेज आवाज को नियंत्रित करने के लिये हाई कोर्ट का सहयोग महिला ने मांगा है। याचिकाकर्ता का आवेदन सुनकर रात के समय में शब्द की तीव्रता पर नियंत्रण का निर्देश जस्टिस ने दिया है। इसके साथ ही पुलिस को तत्पर हाेने का भी निर्देश दिया गया है। हाई कोर्ट का कहना है कि आवाज इतनी अधिक है कि सीमा के बाहर हो जा रही है। कभी आवाज की मात्रा 85 डेसिबल से अधिक ताे कभी 140 डेसिबल तक पहुंच जा रही है जो काफी खतरनाक है। इधर, आवाज को नियंत्रण में करने के लिये काफी पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्देशिका जारी की है। शहर में शब्दों की मात्रा कितनी होगी, यह भी नियमों के तहत बताया गया है। हालांकि कानून को अंगूठा दिखाकर तेज आवाज में डीजे, लाउड स्पीकर, माइक्रोफोन आदि बजाया जाा रहा है। यह मात्रा नियंत्रण में रखने के लिये जितने कदम आवश्यक थे, उनमें कई खामियां रहने का आरोप है। इस कारण जितनी जल्दी हो इस संबंध में कदम उठाने का निर्देश अदालत ने दिया है।

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