

हावड़ा: हावड़ा सत्संग समिति द्वारा फोरशोर रोड स्थित लक्ष्मी विलास गार्डन में रामचरितमानस के सामूहिक पाठ के सप्तम दिवस सिंहस्थल पीठाधीश्वर महंत क्षमाराम महाराज ने कहा कि भगवान राम की लीला दिव्य है।भक्त शबरी को पता ही नहीं था कि उनमें भी भक्ति के गुण हैं।राम की कृपा ही है कि उन्होंने नवधा भक्ति का उपदेश दिया,पूछा मेरी सीता कहां?शबरी ने उन्हें पंपापुर जाने को कहा। राम आगे बढ़े तो लक्ष्मण से कहा काम,क्रोध और लोभ मनुष्य के प्रबल शत्रु हैं,इससे बचना चाहिए,ऐसा शास्त्र कहते हैं। आगे रास्ते में नारद ने नारी-वियोग में राम को रोते देखकर उनके पास आए,पूछे मेरा विवाह क्यों नहीं करने दिया?राम ने कहा --- जो हो रहा है उसे होने दो।नारी का आकर्षण जप-तप को गला देता है।स्त्री-पुरुष के आकर्षण में काम,क्रोध और लोभ उछलते रहते हैं जैसे बरसात में मेढ़क।बाद में, भक्तों -संतों के लक्षण को राम ने नारद को बताया, जिसकी रूचि सत्संग में हो वह विकारों से मुक्त हो जाता है,मेरा प्राण-प्रिय हो जाता है। भगवान पर जो विश्वास करता है,उसके सारे अपराध को क्षमा कर देते हैं।आदमी को चाहिए कि उसका मन जिस पर ज्यादा अटकता है या प्रेम करता है ,उसे भगवान को समर्पित कर देना चाहिए।सुग्रीव के भाई बाली को राम ने वाण से बध किया।पर अंत में बाली का भगवान के प्रति विश्वास देखिए,वह अपने पुत्र अंगद को उन्हें सौंप दिया।ये भगवान की लीलाएं हैं जो हमारा मार्गदर्शन करती हैं। रामचरितमानस का सामूहिक पाठ का आयोजन मनमोहन मल्ल एवं पवन पचेरिया के संयुक्त प्रयास से आयोजित किया जा रहा है।इस अवसर पर पुरुषोत्तम पचेरिया,केशव बूबना,हरि भगवान तापडिया,अरुण भालोटिया,की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।सूचना प्रसारण महावीर प्रसाद रावत ने किया।