अब केवल फ्लैट नहीं, लॉबी, क्लब हाउस जैसी सुविधाएं भी चाहते हैं लोग

आवासनों में लोडिंग फैक्टर बढ़ा
अब केवल फ्लैट नहीं, लॉबी, क्लब हाउस जैसी सुविधाएं भी चाहते हैं लोग
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कोलकाता : हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में आधुनिकतम सुविधाओं के प्रति बढ़ती मांग के बीच, टॉप 7 शहरों में ‘लोडिंग’ फैक्टर भी बढ़ा है। रियल एस्टेट संस्था एनारॉक के रिसर्च में यह बात सामने आयी है। इसमें कहा गया है कि रेसिडेंशियल अपार्टमेंट्स में,सुपर बिल्ट अप एरिया और कार्पेट एरिया के बीच का अंतर औसत लोडिंग फैक्टर है। एनारॉक ग्रुप के रिसर्च एण्ड एडवाइजरी की रीजनल डायरेक्टर व हेड डॉ. प्रशांत ठाकुर ने कहा, ‘चूंकि अब रेरा में डेवलपर्स को कुल कार्पेट एरिया बताना आवश्यक है, ऐसे में मौजूदा समय में कोई नियम परियोजनाओं में लोडिंग फैक्टर को सीमित नहीं करता है। वर्ष 2025 के क्वार्टर 1 के आंकड़े दर्शाते हैं कि टॉप 7 शहरों में खरीदार कुल स्थान का 60% अपने रहने के स्थान के लिए भुगतान करते हैं जबकि बाकी 40% भुगतान कॉमन एरिया जैसे कि एलिवेटर, लॉबी, स्टेयर केस, क्लब हाउस, अमेनिटीज, टेरेस वगैरह के लिए करते हैं। वर्ष 2019 में औसत लोडिंग प्रतिशत 31% था।’

बंगलुरु में सबसे अधिक बढ़ा लोडिंग प्रतिशत

टॉप 7 शहरों में बंगलुरु में सबसे अधिक लोडिंग प्रतिशत गत 7 वर्षों में बढ़ा है। वर्ष 2019 में यह 30% था जो वर्ष 2025 के पहले क्वार्टर में बढ़कर 41% हो गया है। आईटी हब में आवासनों में कई तरह की सुविधाओं की बढ़ती मांग को देखते हुए बंगलुरु में लोडिंग फैक्टर में सबसे अधिक तेजी दर्ज की गयी है। वहीं एमएमआर में वर्ष 2025 के पहले क्वार्टर में 43% के साथ सबसे अधिक लोडिंग रिकॉर्ड की गयी। क्षेत्र में औसत लोडिंग प्रतिशत वर्ष 2019 में 33% से बढ़कर 2022 में 39% हुआ और 2025 के पहले क्वार्टर में यह बढ़कर 43% हो गया है। वहीं दूसरी ओर, चेन्नई में 2025 के पहले क्वार्टर में सबसे कम औसत लोडिंग बढ़ा जो 36% रिकॉर्ड किया गया। यहां कॉमन एरिया के बजाय लोग यूजेबल स्पेस को अधिक महत्व देते हैं। वर्ष 2019 में चेन्नई का औसत लोडिंग प्रतिशत 30% था। वर्ष 2022 में यह धीरे-धीरे बढ़कर 32% पर पहुंचा और 2025 के पहले क्वार्टर में 36% पर पहुंच गया। इसी तरह एनसीआर में औसत लोडिंग प्रतिशत 2019 में 31% से बढ़कर 2025 के पहले क्वार्टर में 41% हो गया। पुणे में यह 2019 में 32% से बढ़कर 2025 के पहले क्वार्टर में 40% पर जा पहुंचा। हैदराबाद में औसत लोडिंग प्रतिशत 2019 में 30% से बढ़कर 2025 के पहले क्वार्टर में 38% हो गया।

कोलकाता में 7 वर्षों में हुई 9% की बढ़ोत्तरी

कोलकाता में वर्ष 2019 में औसत लोडिंग फैक्टर 30% था जो 2019 में बढ़कर 35% हुआ। वर्ष 2025 के पहले क्वार्टर में यह बढ़कर 39% पर जा पहुंचा। डॉ. ठाकुर ने कहा, ‘अतीत में, 30% या उससे कम लोडिंग को सामान्य माना जाता था। हालांकि आज, अधिक अमेनिटी लोडिंग अधिकतर परियोजनाओं में आवश्यक बन चुका है। घर खरीदार अब सामान्य अमेनिटीज से संतुष्ट नहीं हैं, बल्कि वे फिटनेस सेंटर, क्लब हाउस, पार्क जैसे कि गार्डेन और ग्रैंड लॉबी जैसी सुविधाएं भी चाहते हैं।’

मॉर्डन हाउसिंग प्रोजेक्टस में आयी ये सुविधाएं

आधुनिक आवास परियोजनाओं में आवश्यक बुनियादी ढांचे में अब आम तौर पर अधिक स्पेस वाली लिफ्ट शामिल हैं जिनमें अधिक यात्री क्षमता, यूटिलिटी एरिया और फायर एस्केप हैं जो विनियामक सुरक्षा प्रोटोकॉल को पूरा करते हैं।

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