

नई दिल्ली/कोलकाता : केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल में पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त करने के लिए 15वें वित्त आयोग के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 में 680.71 करोड़ रुपये की पहली किश्त जारी की है। यह राशि राज्य की 3,224 ग्राम पंचायतों, 335 ब्लॉक पंचायतों और 21 जिला परिषदों के लिए जारी की गई। पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 और चालू वर्ष 2025-26 के दौरान, पश्चिम बंगाल को कुल 4,181.23 करोड़ रुपये की राशि की सिफारिश और रिहाई की गई है, जिसमें 2,082.13 करोड़ रुपये असंबद्ध (अनटाइड) अनुदान और 2,099.10 करोड़ रुपये संबद्ध (टाइड) अनुदान शामिल हैं। यह केंद्र सरकार की जमीनी स्तर पर सुशासन और सेवा वितरण को मजबूत करने की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इन निधियों का उपयोग सड़क और फुटपाथ निर्माण व रखरखाव, एलईडी और सौर स्ट्रीट लाइटिंग, गांव के खेल के मैदान, पर्यावरण संरक्षण, आय बढ़ाने वाली गतिविधियां, डिजिटल कनेक्टिविटी, और श्मशान घाटों के रखरखाव जैसी योजनाओं में किया जाता है।
वहीं, टाइड अनुदान आवश्यक सेवाओं के लिए समर्पित हैं, जिनमें स्वच्छता, खुले में शौच मुक्त स्थिति का रखरखाव, पेयजल आपूर्ति, वर्षा जल संचयन, जलभराव और निकासी प्रबंधन जैसी गतिविधियां शामिल हैं। इस अनुदान से पश्चिम बंगाल में स्थानीय शासन की क्षमता बढ़ेगी और गांवों के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
राज्य काे 151 करोड़ रुपये से अधिक जारी
केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल को ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की जांच सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए 15वें वित्त आयोग के तहत स्वास्थ्य क्षेत्र अनुदान के रूप में 151.04 करोड़ रुपये जारी किए हैं। यह राशि वर्ष 2024–25 के लिए ‘ग्रामीण उप-केंद्रों हेतु डायग्नोस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर समर्थन’ घटक के अंतर्गत दी गई है। यह अनुदान स्थानीय सतत विकास लक्ष्यों के तहत ‘स्वस्थ पंचायत’ दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में मदद करेगा, जिसका उद्देश्य स्थानीय शासन के माध्यम से सभी के लिए स्वास्थ्य और कल्याण सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही यह ‘विकसित भारत @2047 – स्वस्थ पंचायतों के माध्यम से’ के लक्ष्य को भी सशक्त करेगा, ताकि मजबूत और टिकाऊ ग्रामीण समुदायों का निर्माण हो सके।
15वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित यह स्वास्थ्य क्षेत्र अनुदान प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं को पूरी तरह सुसज्जित करने के लिए है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यक जांच सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें। इस पहल से पंचायत क्षेत्रों के नागरिकों को गांव-स्तर पर ही बेहतर जांच सुविधाएं मिलेंगी। स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित ये अनुदान वित्त मंत्रालय द्वारा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सिफारिश पर जारी किए जाते हैं। राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि इन निधियों का उपयोग भारत सरकार की परिचालन व तकनीकी दिशानिर्देशों के अनुसार ही किया जाए तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) या प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना जैसी अन्य योजनाओं के साथ कोई दोहराव न हो।