Odisha Train Accident : कोई आईकार्ड नहीं, घरवाले भी थे अनजान, पोर्टल से हुई 185 पीड़ितों की पहचान

Odisha Train Accident : कोई आईकार्ड नहीं, घरवाले भी थे अनजान, पोर्टल से हुई 185 पीड़ितों की पहचान
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संचार साथी पोर्टल ने की ओडिशा ट्रेन हादसे के 185 पीड़ितों की पहचान में मदद
चेहरा पहचानने की तकनीक से पीड़ितों का मोबाइल नंबर लिया और पोर्टल से खोजा डिटेल
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे के बाद वहां का मंजर बहुत डरावना था। जगह-जगह खून से पटरियां लाल थीं। लाशों का अंबार लगा था। घायलों की चीख-पुकार मची थी। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी था। कई घायल गंभीर रूप से जख्मी थे जो कुछ भी बोल पाने की स्थिति में नहीं थे। तमाम घायलों के परिजन इस बात से अनजान थे कि उनका कोई अपना ट्रेन हादसे में जख्मी है। ऐसे में पीड़ितों के परिजनों तक हादसे के बारे में सूचना पहुंचाना अपने आप में बड़ी चुनौती थी। न कोई आधार कार्ड, न ही कोई दूसरा आईकार्ड। उनकी पहचान हो तो कैसे। इन सबके बीच भारत सरकार के एक संचार साथी पोर्टल ने बड़ा काम किया। वैसे तो यह पोर्टल खोए हुए मोबाइल फोन को ट्रैक करने के लिए बना है लेकिन इसने कम से कम 185 पीड़ितों की पहचान में मदद की। घटना में जान गंवाने वाले 64 लोगों की पहचान भी इसी पोर्टल से हुई। लोगों के खोए हुए मोबाइल फोन को ट्रैक करने और उसे ब्लॉक करने के लिए बने संचार साथी पोर्टल ने राहत और बचाव के काम के वक्त रेलवे और अन्य सरकारी एजेंसियों की बहुत बड़ी मदद की। पीड़ितों की पहचान करने और उनका मोबाइल नंबर जानने के लिए चेहरा पहचान करने की तकनीक का इस्तेमाल किया गया। टेलीकम्युनिकेशन डिपार्टमेंट कोलकाता के एक वरिष्ठ अधिकारी सुशांत गिरि ने सन्मार्ग को बताया कि एक बार जब सिस्टम में मोबाइल नंबर फीड किया गया तो हमें उन यात्रियों के नाम, पता और दूसरे कॉन्टैक्ट नंबरों के बारे में जानकारी मिल गयी। बताया जाता है कि जिन 100 शवों की पहचान नहीं हो पाई थी उनमें से 64 की पहचान करने में पोर्टल ने मदद की। इस वजह से इनमें से 48 यात्रियों के परिजनों को जानकारी दी जा सकी। संचार साथी पोर्टल को रेलवे और टेलिकॉम मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने पिछले महीने ही लॉन्च किया था। गौरतलब है कि 2 जून को ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे में 288 लोगों की मौत हुई थी। हादसा तब हुआ जब बहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के पास कोरोमंडल एक्सप्रेस मेन लाइन के बजाय लूप लाइन में चली गई और उसके 21 डिब्बे बेपटरी हो गए। ये डिब्बे बगल से गुजर रही बंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस से टकरा गये। पास में एक मालगाड़ी भी खड़ी थी। इस तरह इस हादसे में तीन ट्रेनें शामिल थीं। ये भारत में अब तक के सबसे भीषण हादसों में से एक था जिसमें 288 लोगों की मौत हुई और 1175 लोग जख्मी हुए।

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