
कोलकाता : बांग्लादेश में छात्र आंदोलन में कथित तौर पर शामिल न्यूटन दास, जिसका नाम पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में पाया गया है, उसे हटाने की प्रक्रिया जारी है। शुक्रवार को राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। पश्चिम बंगाल सीईओ (चीफ इलेक्टॉरल ऑफिसर) मनोज अग्रवाल ने सन्मार्ग से कहा, ‘दक्षिण 24 परगना के डीईओ (डिस्ट्रिक्ट इलेक्टॉरल ऑफिसर) द्वारा दी गयी रिपोर्ट के अनुसार, व्यक्ति का नाम मतदाता सूची से हटाने के लिए फॉर्म 7 में एक ऑनलाइन आवेदन जमा किया गया है और इसकी प्रक्रिया जारी है।’ गत 9 जून को पश्चिम बंगाल के सीईओ ने दक्षिण 24 परगना के डीईओ और डीएम को निर्देश दिया था कि इस मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपे। उक्त न्यूटन दास का नाम जिले के काकद्वीप में मतदाता सूची में पाया गया था। यहां उल्लेखनीय है कि न्यूटन दास की कई तस्वीरें सामने आयी हैं जिनमें उसे बांग्लादेश में 2024 में कोटा को लेकर हुए आंदोलन में भाग लेते हुए देखा गया है। इस आंदोलन के दौरान ही शेख हसीना की सरकार सत्ता से बेदखल हो गयी। इधर, एक वीडियो मेसेज जारी कर न्यूटन दास ने दावा किया है कि उसके पास भारतीय नागरिकता से जुड़े दस्तावेज हैं जिनमें पैन कार्ड, आधार कार्ड भी हैं। उसने कहा है, ‘वर्ष 2024 में अपने पूर्वजों की संपत्ति के सिलसिले में मैं बांग्लादेश गया था और वहां प्रदर्शन में फंस गया था। वर्ष 2014 से मैं काकद्वीप का मतदाता हूं। मैंने 2016 के विधानसभा चुनाव में मतदान भी किया था।’ हालांकि जारी वीडियो मेसेज की स्वतंत्र जांच सन्मार्ग नहीं कर पाया है।
इस बीच, बांग्लादेशियों को भारत में घुसाने में तृणमूल कांग्रेस की भूमिका को लेकर राजनीतिक वाद-विवाद जारी है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में मतदाता सूची में अनियमितताओं और दूसरे राज्यों के डुप्लिकेट एपिक कार्ड का बंगाल में इस्तेमाल किए जाने का आरोप लगाया था। ईसीआई ने मई 2025 में 7,800 डुप्लिकेट ईपीआईसी कार्ड रद्द कर दिए थे।