Masik Shivratri 2024: इस विधि के साथ करें भगवान शिव की पूजा, जानें मासिक शिवरात्रि के दिन क्या करें और क्या नहीं?
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कोलकाता : 8 फरवरी को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा। हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मास शिवरात्रि का व्रत किया जाता है। इस दिन व्रत रखने और भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर को बेलपत्र, पुष्प, धूप-दीप और भोग चढ़ाने के बाद शिव मंत्र का जप किया जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने से जीवन में चल रही सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। जो भी इस व्रत को करता है भगवान शिव उनसे प्रसन्न होकर उनके सभी कामों को सफल बनाते हैं।
मासिक शिवरात्रि व्रत 2024 शुभ मुहूर्त
माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि आरंभ- 8 फरवरी को सुबह 11 बजकर 17 मिनट से
माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि समाप्त- 9 फरवरी को सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर
मासिक शिवरात्रि व्रत-तिथि- 8 फरवरी 2024
मासिक शिवरात्रि के दिन पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 05 बजकर 21 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 13 मिनट तक
गवान शिव की पूजा के लिए निशिता मुहूर्त- 8 फरवरी को देर रात 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक
मासिक शिवरात्रि व्रत पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि के दिन प्रात:काल उठकर स्नान आदि कर साफ-सुथरे कपड़े पहन लें।
इसके बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें।
अब पूजा घर या मंदिर को साफ कर गंगाजल छिड़कर शुद्ध कर लें।
एक चौकी पर शिवलिंग या शिव परिवार की तस्वीर रखें।
शिवजी को जल, कच्चा दूध, गंगाजल, बेलपत्र, धतूरा, भांग, धूप-दीप, फल, फूल और मिठाई अर्पित करें।
महादेव भोलेनाथ के सामने घी का दीया जलाएं।
फिर शिव चालीसा और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें।
आखिर में शिव जी की आरती करें और फिर प्रसाद का भोग लगाएं।
प्रदोष व्रत में भोले शंकर के साथ माता पार्वती की भी पूजा जरूर करें।
प्रदोष व्रत के दिन पूरा दिन उपवास रख संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें।
मासिक शिवरात्रि व्रत के दिन क्या करें और क्या नहीं
शिवलिंग की कभी भी पूरी परिक्रमा नहीं करें।
शिवरात्रि व्रत के दिन किसी के लिए अपशब्द का प्रयोग न करें। बड़ें-बुजुर्गों का अपमान नहीं करें।
मासिक शिवरात्रि व्रत के दिन काले रंग के कपड़े नहीं पहनें।
मासिक शिवरात्रि के दिन गेहूं, दाल और चावल का दान नहीं करना चाहिए।
मासिक शिवरात्रि के दिन तामसिक चीजों से दूर रहें।
पंचामृत में तुलसी का उपयोग नहीं करें। शिवजी को तिल भी अर्पित नहीं करें।