स्मॉग की चादर में लिपटा कोलकाता, हवा सांस लेने लायक नहीं

छाया जहरीला स्मॉग, इस सीजन की सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज चार मॉनिटरिंग स्टेशन रेड जोन में, PM2.5 बिगाड़ सकती है सेहत
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कोहरे की चादर से लिप्टा महानगर
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मेघा, सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता: शुक्रवार की सुबह कोलकाता घने और जहरीले स्मॉग की चादर में लिपटा नजर आया। शहर की वायु गुणवत्ता में अचानक तेज गिरावट दर्ज की गई, जो इस सर्दी के मौसम की अब तक की सबसे खराब प्रदूषण स्थिति मानी जा रही है। शीतकाल में पहली बार शहर के सात में से चार कंटीन्युअस एम्बिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन (CAAQMS) ने लाल संकेत दिखाया, जो ‘बहुत खराब’ (Very Poor) वायु गुणवत्ता को दर्शाता है। इन स्टेशनों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 301 से 400 के बीच दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी से महज एक कदम नीचे है। बाकी तीन स्टेशन ‘खराब’ (Poor) श्रेणी में रहे, जहां AQI 201 से 300 के बीच रहा। इससे साफ है कि प्रदूषण की मार पूरे शहर में महसूस की गई। विक्टोरिया मेमोरियल हॉल स्टेशन पर स्थिति सबसे गंभीर रही, जहां AQI 360 के पार पहुंच गया। शैक्षणिक क्षेत्र जादवपुर भी इससे अछूता नहीं रहा और वहां दिनभर AQI 330 से ऊपर बना रहा। प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से PM2.5 जिम्मेदार रहा। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “तापमान इन्वर्जन के कारण ऊर्ध्वाधर हवा की गति 2 मीटर प्रति सेकंड से भी कम हो जाती है। इससे सूक्ष्म कण नीचे ही फंसे रहते हैं और सांस लेने की ऊंचाई पर ही जमा हो जाते हैं। नतीजतन लोग PM2.5 की अत्यधिक मात्रा के संपर्क में आ रहे हैं।”सर्दियों में आम तौर पर ठंडी हवा जमीन के पास फंस जाती है, जबकि ऊपर गर्म हवा की परत बनी रहती है। हवा के प्राकृतिक फैलाव के अभाव में वाहनों से निकलने वाला धुआं, निर्माण कार्यों की धूल, सर्दियों में बायोमास जलाना और सीमापार से आने वाला प्रदूषण तेजी से जमा हो गया। डॉक्टरों के मुताबिक, प्रदूषण का सीधा असर स्वास्थ्य पर दिखने लगा है। डॉक्टर ने कहा,“सुबह के घंटे सबसे ज्यादा खतरनाक रहे। सांस लेने में तकलीफ और अस्थमा के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। लोबार निमोनिया के मामले भी सामने आ रहे हैं। ऐसे प्रदूषित माहौल में शारीरिक गतिविधि करने से लोग ज्यादा मात्रा में जहरीली हवा अंदर लेते हैं, जिससे खतरा और बढ़ जाता है।” अस्पतालों में घरघराहट, सीने में जकड़न, लगातार खांसी और आंखों में जलन की शिकायत लेकर आने वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई। सातों CAAQMS स्टेशनों के आंकड़ों के अनुसार, सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक प्रदूषण स्तर लगातार ऊंचा बना रहा और दिन में भी कोई खास सुधार नहीं हुआ।

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