लॉन्चिंग के लिए तैयार है Chandrayaan-3, जानिए क्या है ये मिशन

लॉन्चिंग के लिए तैयार है Chandrayaan-3, जानिए क्या है ये मिशन
Published on

श्रीहरिकोटा : भारत का तीसरा चंद्र मिशन शुक्रवार (14 जुलाई) को लॉन्च के लिए पूरी तरह तैयार है। चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) में अधिक ईंधन, कई सुरक्षा उपाय और बड़ी लैंडिंग साइट है। इसरो ने कहा कि उसने दूसरे प्रयास के लिए "विफलता-आधारित डिजाइन" का विकल्प चुना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रोवर सफलतापूर्वक चंद्रमा पर उतर सके। चंद्रयान के प्रक्षेपण नियंत्रण अभियान का नेतृत्व असम के चयन दत्ता करेंगे, जो असम के संपूर्ण वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़ी छलांग होगी। 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान-3 अपने मिशन पर रवाना होगा और अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा पर उतरेगा। इससे पहले पहले सितंबर 2019 में चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया गया था। हालांकि कुछ तकनीकी गड़बड़ी के चलते यह चंद्रमा के नजदीक पहुंचकर क्रैश हो गया था। इस वजह इस इस बार उन गलतियों की पहचान करके अबकी बार इसे दूर करने की कोशिश की गई है।

जाने कौन हैं चयन दत्ता?
1. चयन दत्ता तेजपुर विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के पूर्व छात्र हैं।
2. वह अंतरिक्ष विभाग के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में साइंटिस्ट/इंजीनियर-जी के रूप में कार्यरत हैं।
3. वह उप परियोजना निदेशक के रूप में "ऑन बोर्ड कमांड टेलीमेट्री, डेटा हैंडलिंग एंड स्टोरेज सिस्टम, लैंडर, चंद्रयान -3" का भी नेतृत्व कर रहे हैं।
4. कमांड और डेटा हैंडलिंग सबसिस्टम अनिवार्य रूप से ऑर्बिटर का 'दिमाग' है और सभी अंतरिक्ष यान कार्यों को नियंत्रित करता है।
5. चयन दत्ता ने कहा, "मुझे यह जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिससे मैं बेहद सम्मानित और विनम्र महसूस कर रहा हूं। यह मिशन हमारे देश और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा"।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा कि सक्सेस बेस्ड डिजाइन की जगह हमने फेलयोर डिजाइन को इसलिए चुना ताकि हम देख सकें कि गड़बड़ी कहा हुई और एक सफल लैंडिंग सुनिश्चित कर सकें।

जानिए क्या है ये मिशन
1. चंद्रयान-3 में एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल (एलएम), प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) और एक रोवर शामिल है।
2. लैंडर में एक स्पेसिफाइड चंद्र स्थल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को तैनात करने की क्षमता होगी जो अपनी गतिशीलता के दौरान चंद्र सतह का इन-सीटू कैमिकल एनालिसिस करेगा।
3. लैंडर और रोवर के पास चंद्र सतह पर प्रयोग करने के लिए वैज्ञानिक पेलोड हैं।
4. पीएम का मुख्य कार्य एलएम को लॉन्च वाहन इंजेक्शन से अंतिम चंद्र 100 किमी गोलाकार ध्रुवीय कक्षा तक ले जाना और एलएम को पीएम से अलग करना है।
5. इसके अलावा, प्रोपल्शन मॉड्यूल में वैल्यू एडिशन के रूप में एक वैज्ञानिक पेलोड भी है जो लैंडर मॉड्यूल के अलग होने के बाद संचालित किया जाएगा।
6. चंद्रयान-3 के लिए पहचाना गया लॉन्चर GSLV-Mk3 है जो एकीकृत मॉड्यूल को एलिप्टिक पार्किंग ऑर्बिट (ईपीओ) आकार ~170 x 36500 किमी में रखेगा।

आखिर क्यों चंद्रमा परकी जा रही है खोज?
चंद्रयान-3 को मिलाकर अकेले भारत के ही तीन चंद्र मिशन हो जाएंगे। हालांकि, इसके अलावा भी दुनिया की तमाम राष्ट्रीय और निजी अंतरिक्ष एजेंसियां लूनर मिशन भेज चुकी हैं या भेजने की तैयारी में हैं। इन मिशनों को अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है। यही कारण है कि आज भी चंद्रमा पर खोज एक चुनौती मानी जाती है।
1969 में नील आर्मस्ट्रांग अमेरिका के अपोलो 11 मिशन के दौरान चंद्रमा पर चलने वाले पहले व्यक्ति थे। इस ऐतिहासिक मिशन के दशकों बाद भी चंद्रमा का पता लगाना मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण हो गया। विशेषज्ञों का कहना है कि जब पृथ्वी और ब्रह्मांड के इतिहास का अध्ययन करने की बात आती है तो चंद्रमा एक खजाना है।
चंद्रमा पर मिशन भेजने के उद्देश्यों को लेकर नासा की वेबसाइट कहती है कि चंद्रमा पृथ्वी से बना है और यहां पृथ्वी के प्रारंभिक इतिहास के साक्ष्य मौजूद हैं। हालांकि, पृथ्वी पर ये साक्ष्य भूगर्भिक प्रक्रियाओं की वजह से मिट चुके हैं।
नासा के मुताबिक, चंद्रमा वैज्ञानिकों को प्रारंभिक पृथ्वी के नए दृष्टिकोण प्रदान करेगा। पृथ्वी-चंद्रमा प्रणाली और सौर मंडल कैसे बने और विकसित हुए जैसे सवालों के जवाब वैज्ञानिकों मिल सकते हैं। इसके साथ ही पृथ्वी के इतिहास और संभवतः भविष्य को प्रभावित करने में क्षुद्रग्रह प्रभावों की भूमिका के बारे में भी पता लगाया जा सकता है।
अमेरिकी एजेंसी की मानें तो चंद्रमा अनेक रोमांचक इंजीनियरिंग चुनौतियां पेश करता है। यह जोखिमों को कम करने और भविष्य के मिशनों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकियों, उड़ान क्षमताओं, जीवन समर्थन प्रणालियों और शोध तकनीकों का परीक्षण करने के लिए एक उत्कृष्ट जगह है।

चंद्र मिशनों से मनुष्यों को क्या हासिल होगा?
चंद्रमा की यात्रा मनुष्यों को दूसरी दुनिया में रहने और काम करने का पहला अनुभव प्रदान करेगी। यात्रा हमें अंतरिक्ष के तापमान और चरम विकिरण में उन्नत सामग्रियों और उपकरणों का परीक्षण करने की अनुमति देगी। मनुष्य सीखेंगे कि मानवीय कार्यों में सहायता करने, दूरस्थ स्थानों का पता लगाने और खतरनाक क्षेत्रों में जानकारी इकट्ठा करने के लिए रोबोटों का सर्वोत्तम उपयोग कैसे किया जाए।
नासा कहता है कि चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उपस्थिति स्थापित करके, मनुष्य पृथ्वी पर जीवन को बढ़ाएंगे और अपने सौर मंडल के बाकी हिस्सों और उससे आगे का पता लगाने के लिए तैयार होंगे।
पृथ्वी से कम गुरुत्वाकर्षण और अधिक विकिरण वाले वातावरण में अंतरिक्ष यात्रियों को स्वस्थ रखना चिकित्सा शोधकर्ताओं के लिए एक अहम चुनौती है। चंद्रमा की खोज तकनीकी नवाचारों और अनुप्रयोगों और नए संसाधनों के उपयोग के लिए नए व्यावसायिक मौके भी मुहैया करती है। अंततः, चंद्रमा पर चौकियां स्थापित करने से लोगों और खोजकर्ताओं को पृथ्वी से परे ग्रहों और उपग्रहों तक अन्वेषण और बसाहट का विस्तार करने में मदद मिलेगी।

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in