कोलकाता : भादों महीने में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह कजरी व्रत 22 अगस्त 2024 दिन गुरुवार को है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य और पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। साथ ही सोलह शृंगार कर गौरी-शंकर की पूजा करती हैं। कजरी तीज का व्रत करवा चौथ की भांति निर्जला व्रत के साथ रखा जाता है और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोल जाता है। अब सवाल है कि आखिर इस साल 2024 में कजरी तीज कब है? क्या है इस त्योहार को बनाने का कारण? कौन रख सकता व्रत? कजरी तीज व्रत का क्या है शुभ मुहूर्त?
कजरी तीज को कजली तीज, बड़ी तीज, बूढ़ी तीज या सतूरी तीज नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व उत्तर भारत के राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। कजरी तीज व्रत के दिन जौ, चने, चावल और गेहूं के सत्तू बनाए जाते हैं और उसमें घी और मेवा मिलाकर कई प्रकार के भोजन बनाते हैं। इसके बाद चंद्रमा की पूजा करके उपवास खोलते हैं।
क्या है शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 21 अगस्त को शाम 5.15 से शुरू होगी और ये अगले दिन दोपहर 1:46 बजे तक रहेगी। इसलिए उदया तिथि के अनुसार ये व्रत 22 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5:50 से सुबह 7:30 के बीच रहेगा।
क्यों मनाया जाता कजरी तीज
पौराणिक कथा के अनुसार, शिव को पति रूप में पाने के संकल्प के साथ मां पार्वती ने 108 साल तक तपस्या कर भोलेनाथ को प्रसन्न किया था, तभी से इसको कजरी तीज या कजली तीज के रूप में मनाया जाने लगा। इस त्योहार पर विवाहित महिलाओं के साथ कुंवारी लड़कियां भी रखती हैं।
कजरी तीज व्रत की पूजा विधि
कजरी तीज व्रत के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में नहाने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए। इसके बाद मंत्रोचार के साथ सूर्य देवता को जल अर्पित करें और फिर मंदिर की साफ सफाई करें। इसके बाद पूजा के लिए एक चौकी पर माता पार्वती और शिवजी की तस्वीर या मूर्ति रख पूजा करें। इसके बाद तालाब में कच्चा दूध और जल डालें और किनारे एक दीया जलाकर रखें। बता दें कि, थाली में नींबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि रखे जाते हैं।