जब चाहो तब बारिश !

फोटो - दीपेन उपाध्याय
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क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश का मशीनी परीक्षण सफल
आईआईटी कानपुर ने रचा इतिहास
कानपुर : देश में क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बारिश कराने में बड़ी सफलता हासिल हुई है। आईआईटी कानपुर ने 23 जून को क्लाउंड सीडिंग के लिए एक परीक्षण उड़ान को सफलता पूर्वक आयोजित किया, जिसके जरिए 5 हजार फीट की ऊंचाई से एक पाउडर गिराया गया, जिससे कृत्रिम बादल बन गए। ये परीक्षण नगर विमानन निदेशालय यानी डीजीसीए की अनुमति के बाद ही किया गया था। हालांकि इस दौरान बारिश नहीं हुई क्योंकि इसके लिए फ्लेयर्स को फायर नहीं किया गया था। ये सिर्फ उपकरणों के लिए एक ट्रायल था।
आईआईटी कानपुर के द्वारा कृत्रिम बारिश कराये जाने के लिए इस परियोजना पर कुछ साल पहले से ही काम करना शुरू किया था। इसका नेतृत्व आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग द्वारा किया गया, जिसके बाद शुक्रवार को 23 जून को इस परीक्षण को किया गया। आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने इस परीक्षण के किए जाने की पुष्टि की है।
कृत्रिम बारिश कराने का परीक्षण सफल
कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि आईआईटी कानपुर में एक अनोखा प्रयोग किया गया है, जिसमें क्लाउड सीडिंग के लिए परीक्षण उड़ान का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया है। इस परीक्षण के लिए सेसना एयरक्राफ्ट के साथ क्लाउड-सीडिंग अटैचमेंट की टेस्टिंग की गई, जो सफल रही। इस परीक्षण के दौरान तय मानकों के अनुसार फ्लेयर का इस्तेमाल करके एजेंटों को फैलाया गया, जिससे बादल बनाए गए।
प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि इस परीक्षण के दौरान बारिश नहीं हुई, क्योंकि हमारी ओर से इस परीक्षण के दौरान बादलों में फ्लेयर्स को फायर नहीं किया गया था। ये उपकरण के लिए एक ट्रायल था, लेकिन ये टेस्टिंग सफल रही। अब हम अगले चरणों में क्लाउड सीडिंग चलाने के लिए तैयार हैं। यह परीक्षण डीजीसीए की अनुमति के बाद हुआ है। हम इस प्रोजेक्ट पर बीते कई सालों से काम कर रहे हैं। कोरोनाकाल की वजह से इसकी खरीद प्रक्रिया में देरी हुई। उत्तर प्रदेश सरकार ने कई वर्ष पहले क्लाउड सीडिंग के परीक्षण की इजाजत दे दी थी।

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