International Mother Language Day: कब से हुई इसकी शुरुआत ? क्या है इसका इतिहास ?

International Mother Language Day: कब से हुई इसकी शुरुआत ? क्या है इसका इतिहास ?
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कोलकाता: हमारे जीवन में भाषा का बहुत महत्व होता है, क्योंकि भाषा के माध्यम से ही हम अपनी भावनाओं को प्रकट करते हैं और एक दूसरे से बात करते हैं। हर देश की अपनी अलग भाषा होती है। जन्म लेने के बाद व्यक्ति सबसे पहले जिस भाषा को सीखता है, उसे उसकी मातृभाषा कहा जाता है। हमारे देश में तो अलग-अलग राज्यों की कई भाषाएं है, जिसे वहां की मातृभाषा कहा जाता है। 21 फरवरी यानी आज के दिन अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य दुनियाभर में मातृ भाषाओं के संरक्षण और प्रचार के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई थी।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का इतिहास

आज 21 फरवरी को 2024 को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 21 फरवरी साल 2000 से हुई। संयुक्त राष्ट्र के संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की महासभा द्वारा साल 1999 में यह पारित किया गया। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के लिए इस साल की थीम 'बहुभाषी शिक्षा है पीढ़ीगत शिक्षा का आधार' है।

कैसे लागू हुआ मातृभाषा दिवस ?

ढाका जिससे पूर्वी पाकिस्तान की राजधानी कहा जाता था, जो कि अब बांग्लादेश की राजधानी है। वहां पर छात्रों और कार्यकर्ताओं ने 1952 में उर्दू को एकमात्र आधिकारिक भाषा के रूप में लागू करने के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया था। उस समय शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर जब पुलिस ने गोलियां चलाई थी, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी। बांग्ला भाषा आंदोलन के महत्व को मान्यता देते हुए यूनेस्को ने 1999 में 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में घोषित किया थ। तब से संस्कृति को संरक्षित और प्रसारित करने के एक रूप में मातृभाषाओं को प्रोत्साहित करने के लिए इस दिन को मनाया जाता है।

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