Independence Day: ध्वजारोहण और झंडा फहराने में क्या है अंतर? जानें इसका सही नियम | Sanmarg

Independence Day: ध्वजारोहण और झंडा फहराने में क्या है अंतर? जानें इसका सही नियम

77वें स्वतंत्रता दिवस को लेकर देश भर में उत्साह का माहौल है। 15 अगस्त को देश के स्कूलों, कॉलेज सहित कई शैक्षणिक संस्थानों में ध्वजारोहण किया जा जाता है। इसके साथ ही सरकारी भवनों, प्राइवेट ऑफिस में भी तिरंगा फहराया जाता है। वहीं स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर अलग-अलग नियम हैं। आपको हम ध्वजारोहण और झंडा फहराने के अंतर के बारे में बताएंगे। ये अंतर जानना देश के नागरिकों के लिए बेहद जरूरी है।

ध्वजारोहण का सही अर्थ क्या है ?

स्वतंत्रता दिवस के दिन देश के प्रधानमंत्री लाल किले से ध्वजारोहण करते हैं। सबसे पहले तिरंगे को खंभे के नीचे बांधा जाता है, जिसे डोरी से खींचकर ऊपर की ओर लाया जाता है और फिर उसे खोलकर फहराया जाता है। नए राष्ट्र के उदय का प्रतीक ध्वजारोहण को माना जाता है। ये दिन भारत के उदय के तौर पर भी माना जाता है क्योंकि इसी दिन से ब्रिटिश शासन का अंत हुआ था। बता दें कि स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण देश के पीएम करते हैं, जबकि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर देश के राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं।

झंडा फहराने का अर्थ क्या है ?

स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस, दोनों अलग-अलग तरह के कार्यक्रम हैं। गणतंत्र दिवस को देश के गणराज्य घोषित होने के अवसर पर मनाया जाता है। इस दिन हमारे देश में संविधान लागू हुआ था। 1950 से लेकर हर साल इस दिन देश के राष्ट्रपति दिल्ली के राजपथ (अब कर्तव्यपथ) पर तिरंगा फहराते हैं। पहले से ही झंडा खंभे की चोटी पर बंधा रहता है, जिसे राष्ट्रपति डोरी से खींचकर खोलते हैं। झंडा फहराना किसी राष्ट्र के लिए एक नए युग को परिभाषित करता है। इसके साथ ही झंडा फहराना यह भी दर्शाता है कि भारत पहले से ही एक स्वतंत्र और संवैधानिक देश है।

बता दें कि भारत सरकार की ओर से तिरंगा फहराने और उसे उतारने को लेकर यही नियम बनाए गए हैं।  26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्वज संहिता को लागू किया गया था। इसी नियम के तहत ध्वजारोहण और तिरंगा फहराया जाता है।

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