
शांतिनिकेतन : वरिष्ठ पत्रकार एवं महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे ने कहा है कि हिंदी पत्रकारिता के विकास के लिए अनेक हिंदीभाषियों ने अपनी हड्डियां गलाईं। प्रो. चौबे आज शाम हिंदी पत्रकारिता के दो सौवें वर्ष में प्रवेश करने पर विश्वभारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में ‘उदंत मार्तण्डः विऔपनिवेशीकरण का आख्यान’ विषय पर विशेष व्याख्यान दे रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन विश्वभारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग तथा इंडियन कम्युनिकेशन कांग्रेस ने संयुक्त रूप से किया था। हिंदीभाषी राजा राममोहन राय, श्याम सुंदर सेन, अमृतलाल चक्रवर्ती, शारदा चरण मित्र, रामानंद चट्टोपाध्याय, चिंतामणि घोष, क्षितिन्द्र मोहन मित्र, माधव राव सप्रे, बाबूराव विष्णु पराड़कर जैसे सैकड़ों मनीषियों की हिंदी पत्रकारिता ऋणी है। इन सबने पत्रकारिता के माध्यम से ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विरुद्ध संघर्ष को गति दी। प्रो. चौबे ने कहा कि ‘उदंत मार्तण्ड’ की देश हित चिंता के ध्येयवाली पत्रकारिता अपने महत् दायित्व, राष्ट्रीय चेतना और युग बोध के प्रति पूर्ण सचेत थी। उसने ब्रिटिश शासन के अन्याय का प्रतिरोध करने का माद्दा समाज में उत्पन्न किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वभारती विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रामेश्वर मिश्र ने की। पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रोफेसर तथा इंडियन कम्युनिकेशन कांग्रेस के अध्यक्ष प्रो. विप्लव लोहो चौधरी ने संचालन किया। पत्रकारिता व जनसंचार विभाग की प्रभारी डॉ. मौसमी भट्टाचार्य ने स्वागत भाषण किया