
हावड़ा : सेठ बंशीधर जालान स्मृति मंदिर हावड़ा के सभागार में त्रिदिवसीय श्री हनुमत चरित पर व्याख्यान का प्रारंभ करते हुए कसी के युवा रामायणी पंडित आशीष मिश्र ने कहा। हनुमान जी का जन्म वानर जाति में माता अंजना और केसरी के पुत्र के रूप में हुआ था, और उन्हें पवनपुत्र भी कहा जाता है क्योंकि उन्हें वायु देव से दिव्य शक्तियाँ प्राप्त हुईं। बचपन से ही उनमें अद्भुत शक्ति, गति और उत्साह था। उनकी भक्ति श्रीराम के प्रति इतनी गहरी थी कि वे हमेशा उनके नाम और सेवा में लीन रहते थे। रामायण में उन्होंने समुद्र पार करके लंका तक छलांग लगाई, रावण की अशोक वाटिका में सीता माता से भेंट की, और लंका दहन कर दुश्मनों को चेतावनी दी। हनुमान जी को ‘चिरंजीवी’ माना जाता है, यानी वे अमर हैं और आज भी पृथ्वी पर विद्यमान हैं। वे केवल शक्ति और पराक्रम के प्रतीक नहीं, बल्कि विनम्रता, सेवा और निस्वार्थ प्रेम के आदर्श उदाहरण भी हैं। उनका चरित्र हमें यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति और दृढ़ संकल्प से कोई भी कार्य असंभव नहीं होता। भक्तगण हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और बजरंग बाण का पाठ कर उनसे शक्ति, साहस और सुरक्षा की कामना करते हैं। इस अवसर पर युगल किशोर भगत, विजय कानोड़िया, नन्दलाल रूंगटा, राजकुमार भड़ेच एवं अन्य सज्जनों की उपस्थिति रही।