Durga Puja 2023 : इस साल बिना पासपोर्ट ही कोलकाता में घुमे मिश्र

Durga Puja 2023 : इस साल बिना पासपोर्ट ही कोलकाता में घुमे मिश्र
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सन्मार्ग संवादाता
कोलकाता : दुर्गा पूजा में चलिए मिश्र घुम आते हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं मिश्र की थीम पर कोलकाता में बन रहे दुर्गा पूजा पंडाल की जिसे देखकर एक पल के लिए ऐसा ही लगेगा कि नील नदी के किनारे आप मिश्र के किसी शहर में पहुंच गये हैं। कोलकाता के पास मौजूद उपनगरीय शहर बेलघरिया के 17 पल्ली दुर्गा पूजा कमेटी ने इस बार मिश्र की थीम पर ही दुर्गा पूजा पंडाल तैयार करने का फैसला लिया है। दुर्गा पूजा में 1 महीने से भी कम का समय शेष रह गया है। इसलिए पूजा कमेटी तेजी से अपना काम पूरा कर रही है। इस दुर्गा पूजा पंडाल की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां सिर्फ पूजा पंडाल को ही नहीं बल्कि मां दुर्गा की प्रतिमा को भी मिश्र की शैली में ही तैयार और सजाया जा रहा है। 12,000 वर्ग फीट में बेलघरिया 17 पल्ली दुर्गा पूजा कमेटी का पूजा पंडाल तैयार किया जा रहा है। पूजा पंडाल में 5 पिरामिड तैयार किये जा रहे हैं। इनमें से किसी की ऊंचाई 66 फीट, किसी की 30 और सबसे ऊंचा पिरामिड 100 फीट का होने वाला है। नील नदी का प्रभाव दिखाने के लिए एक अस्थायी जलाशय को भी तैयार किया गया है। पूजा कमेटी की तरफ से बताया गया कि 12,000 वर्ग फीट के क्षेत्र को ही सफेद बालु से ढंक दिया जाएगा, ताकि यह मरुस्थल जैसा ही लगे। किसी पिरामिड में फराओ तो किसी में स्फिंक्स और कहीं ऊंट दिखेगा। कई जगहों पर मिश्र की शैली में लिखे हुए शिलापट्ट भी नजर आएंगे।
शाम ढलते ही बदल जाएगा नजारा
दिन के समय मिश्र के ऊंट, फराओ और स्फिंक्स से सजा यह पूजा पंडाल सुन्दर तो दिखेगा लेकिन इसकी असली खुबसूरती तो शाम ढलते ही निखर कर सामने आएगा। जब कई मसालों को एक साथ जलाया जाएगा। इसके साथ ही स्पेशल इफेक्ट से बनाया गया कृत्रिम चांद भी पूजा पंडाल की सुन्दरता में चार चांद लगाएगा।
किन चीजों का किया जा रहा इस्तेमाल
इस पंडाल को वास्तविक रूप में ढालने के लिए प्लाईवुड, फाइबर, कोलतार और लाह जैसी चीजों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ममी, फराओ या फिर स्फिंक्स की मूर्तियां इतनी जीवंत लग रही हैं कि देखने वाला एक पल के लिए भूल ही जाएगा कि वह कोलकाता के उपनगरीय क्षेत्र में है या मिश्र के किसी शहर में खड़ा है। असली और नकली मिश्र का फर्क मानों यहां पूरी तरह से खत्म हो जा रहा है। पूरे पूजा पंडाल को बेहद सावधानी के साथ सजाया जा रहा है ताकि गलती की कोई गुंजाइस ना हो।

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