

हावड़ा : सेठ वंशीधर जालान स्मृति न्यास द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय मानस-प्रवचन के आज समापन सत्र को संबोधित करते हुए आचार्य (डॉ) भारतभूषण जी महाराज ने कहा कि जीवन विवाद के लिए नहीं अपितु संवाद के लिए है। सारे उपनिषद्,पुराण, इतिहास सभी महापुरुषों के संवाद द्वारा ही हमें सुलभ हुए हैं। भगवान् श्रीपरशुरामजी और शेषावतार श्रीलक्ष्मण के बीच संवाद हुआ है। संवाद का परिणाम सुखद होता है, विवाद का नहीं। इस प्रसंग के अंत में भगवान् परशुराम ने दोनों भाइयों श्रीराम और लक्ष्मण की बड़ी विशद स्तुति की और स्वयं उनके सर्वत्र जय की कामना करते हुए तपस्या हेतु वन में चले गए। आचार्य ने कहा कि संत मान अपमान से कभी भी प्रभावित नहीं होते हैं। आचार्य ने कहा कि इस प्रसंग में महर्षि विश्वामित्र और श्रीपरशुरामजी का संवाद है। श्रीराम और श्रीपरशुराम का संवाद है। जनक जी का भी संवाद है किन्तु चर्चा लक्ष्मण जी के संवाद की ही होती है।श्री लक्ष्मण जीवाचार्य हैं जो जीव को प्रभु का दर्शन ही नहीं कराते बल्कि उनके श्रीचरणों में प्रतिष्ठित भी कर देते हैं।