

मेघा, सन्मार्ग संवाददाता
हावड़ा : हावड़ा जिले के सांकराइल थाना क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक डेल्टा जूट मिल एक बार फिर श्रमिक आंदोलन के केंद्र में है। सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीआईटीयू) के नेतृत्व में गुरुवार को सैकड़ों श्रमिकों ने राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। श्रमिकों ने हावड़ा के लेबर कमिश्नर कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया। मिल के लगभग 18 महीनों से बंद रहने, प्रोविडेंट फंड (पीएफ) और ग्रेच्युटी नहीं मिलने तथा मिल की जमीन प्रमोटरों को सौंपने की साजिश के आरोप लगाते हुए श्रमिकों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। राज्य सरकार पर नए श्रम कानूनों के तहत श्रमिक हितों की अनदेखी का गंभीर आरोप लगाया गया है। 2010 में उत्पादन निलंबन की घोषणा के बाद गुस्साए श्रमिकों ने अधिकारियों के क्वार्टर, ट्रेड यूनियन कार्यालय और गोदामों को आग लगा दी थी। 2012 में कम उत्पादन के कारण मिल पूरी तरह बंद हो गयी, जिससे करीब 4,000 श्रमिक बेरोजगार हो गए। 2016 में नोटबंदी के असर से वेतन भुगतान रुक गया और मिल फिर ठप हो गई। कोविड-19 महामारी के दौरान 2020-21 में नवंबर से मिल बंद रही। हालांकि, 2021 के दिसंबर में राज्य श्रम मंत्री बेचराम मन्ना की मध्यस्थता से 25 दिसंबर से निलंबन हटाया गया और 12 जनवरी 2022 से उत्पादन शुरू हुआ, जिससे 3,000 से अधिक श्रमिकों को राहत मिली लेकिन 2024 के मई माह से मिल फिर से बंद है, जो आज (नवंबर 2025) तक 18 महीने पूरे हो चुके हैं। इस दौरान श्रमिकों को न तो पीएफ मिला, न ग्रेच्युटी, जिससे श्रमिक परिवार मुश्किल में हैं। सीआईटीयू के राज्य अध्यक्ष की अगुवाई में प्रदर्शन राज्य सरकार की कथित अक्षमता के खिलाफ था। श्रमिक नेताओं ने आरोप लगाया कि नया श्रम कानून लागू होने के बावजूद सरकार ने श्रमिकों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया।श्रमिकों का कहना है कि लेबर कमिश्नर कार्यालय से उन्हें आश्वासन मिला है।