

कोलकाता : विधाननगर सिटी पुलिस द्वारा आयकर अधिकारी बनकर चिनार पार्क में लूट की घटना को अंजाम देने के आरोप में गिरफ्तार किए गए पांच सीआईएसएफ कर्मियों की शुक्रवार को दमदम जेल में पहचान परीक्षण (टीआई) परेड होगी। यहां 18 वर्षीय शिकायतकर्ता और मुख्य गवाह को संदिग्ध के साथ पंक्ति में खड़े समान दिखने वाले व्यक्तियों के समूह में से आरोपित पुरुषों की पहचान करने का काम सौंपा जाएगा।
वहीं दूसरी तरफ गिरफ्तार सीआईएसएप कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है। कोलकाता में सीआईएसएफ के डीआईजी कुमार प्रताप सिंह ने कहा कि सभी पांच कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है और समयबद्ध जांच चल रही है। गिरफ्तारी के बाद यह एक सामान्य प्रक्रिया है जिसमें अभियुक्तों को निलंबित किया जाता है। अगर वे दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें सख्त सजा का सामना करना पड़ेगा। सीआईएसएफ ने पुलिस के साथ पूर्ण सहयोग का वादा किया है तथा आरोपितों के बारे में मांगी गई सभी जानकारियां उपलब्ध करा दी गयी हैं।
बिहार के गोपालगंज में रची गयी थी साजिश!
शिकायत दर्ज कराने वाली विनीता सिंह को पूरा विश्वास है कि वह अभियुक्तों को पहचान लेंगी। उन्होंने कहा, ‘मेरी स्मरण शक्ति बहुत तेज है और मैंने उनके बारे में मन ही मन एक तस्वीर बना ली है। मैंने ऑनलाइन भी इस प्रक्रिया पर शोध किया है, ताकि मैं सही लोगों की पहचान कर सकूं’। 18 मार्च को आयकर अधिकारियों और पुलिसकर्मियों की वेशभूषा में छह लोगों ने विनीता की दादी के घर पर धावा बोला और 6 लाख रुपये नकद और गहने लेकर फरार हो गए। परिवार में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए विनीता ने अपनी सौतेली मां आरती सिंह और चाचा सत्येंद्र यादव पर अंगुली उठाई। उसे अपने चाचा की ओर से मिली एक पूर्व धमकी याद आई, जिसमें उन्होंने चेतावनी दी थी कि वह परिवार की सारी संपत्ति छीन लेंगे। अब तक पुलिस ने 6 अभियुक्तों में से पांच को गिरफ्तार कर लिया है, जो सभी सीआईएसएफ के जवान हैं। इसके अतिरिक्त, विनीता की सौतेली माँ, भागने वाली कार के चालक तथा वाहन की व्यवस्था करने वाले बिचौलिए को भी हिरासत में ले लिया गया है। हालांकि पुलिस ने सौतेली मां को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन विनीता का मानना है कि उसने अकेले लूट की योजना नहीं बनाई थी। उन्होंने पुलिस से त्वरित कार्रवाई करने का आग्रह करते हुए कहा, जब मैं तीन साल की थी, तब से वह मुझे जानती है, लेकिन मुझे संदेह है कि उसने खुद ही सब कुछ योजना बनाई होगी। इसका कोई और मास्टरमाइंड जरूर होगा।
जांचकर्ताओं को भी यही संदेह है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वे आरती सिंह के भाई की तलाश कर रहे हैं, जिसने संभवतः अपराध का समन्वय किया होगा। अधिकारी ने कहा कि हमें संदेह है कि उसने फरक्का बैराज से सीआईएसएफ इंस्पेक्टर ए.के. सिंह से संपर्क किया, जिन्होंने लूट को अंजाम देने में मदद की। दोनों एक ही गांव बिहार के गोपालगंज जिले के शेर भकरुआ से हैं और उनका पुराना संबंध है। भाई फिलहाल फरार है। अधिकारी ने कहा कि आरती सिंह पुलिस हिरासत में हैं, लेकिन वे टीआई परेड पूरी होने के तुरंत बाद पांचों सीआईएसएफ कर्मियों की पुलिस हिरासत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। इस बीच, सीआईएसएफ ने गिरफ्तार कर्मियों के लिए निलंबन आदेश तैयार कर लिया है।