Chandrayaan 3: आखिर क्यों शुरू हुई चंद्रमा पर बर्फ खोजने की कवायद ?

Chandrayaan 3:  आखिर क्यों शुरू हुई चंद्रमा पर बर्फ खोजने की कवायद ?
Published on

नई दिल्ली : चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान -3 ने 23 अगस्त की शाम सॉफ्ट लैंडिंग की। भारत के चंद्रयान-3 मिशन की कामयाबी को लेकर दुनिया भर में चर्चा हो रही है। इसे भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी की सबसे बड़ी उपलब्धियां में से एक माना जा रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं कि चंद्रमा पर बर्फ क्यों खोजी जा रही है और चंद्रयान-3 इसे ढूंढने में सफल हो पाएगा?

चंद्रयान – 3 मिशन विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के साथ बर्फ की खोज की जाएगी। अगर ऐसा हो पाता है तो वैज्ञानिकों को हमारे सौरमंडल में पानी के इतिहास को समझने का भी मौका मिलेगा। यहां से इन सवालों का जवाब मिल पाएगा कि पानी कब आया और कहां से आया। चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अगर भारत ऐसा कर पता है तो यह अच्छे संकेत होंगे।

चीन और अमेरिका भी तैयारी में जुटे

जानकारी के लिए बता दें कि कुछ दिन पहले ही रूस के लूना – 25 को उतारने का प्रयास किया था लेकिन उनका मिशन असफल रह। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भारत के उतरने के बाद चीन और अमेरिका भी इसकी तैयारी कर रहा है।

क्या चंद्रमा पर मिलेगी बर्फ?

1960 के दशक से ही वैज्ञानिक चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी के बारे में कई तरह के अनुमान लगा रहे हैं लेकिन अपोलो मिशन द्वारा ले आए गए चंद्रमा की सतह की शुरुआती नमूने सूखे निकले थे। 2008 में उन्हीं नमूने से एक तकनीकी के जरिए हाइड्रोजन की उपस्थिति पाई गई थी। नासा की एक जांच में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सतह के नीचे बर्फ पाई गई। इतना ही नहीं बल्कि कई और मिशन के दौरान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के गड्ढों में जमे हुए पानी के सबूत मिले हैं।

चंद्रमा की सतह पर बर्फ मिलना क्यों जरूरी है?

चांद की सतह के नीचे पानी तलाश में से ज्यादा व्यावहारिक वजहें भी हैं। दुनिया के कई देश चंद्रमा पर इंसानों को भेजने की योजना बना रहे हैं लेकिन अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर रहने के लिए पानी की आवश्यकता होगी। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि पृथ्वी से चंद्रमा तक पानी ले जाना बहुत महंगा पड़ता है। चंद्रमा पर पाया जाने वाला पानी सरकारों और निजी संगठनों के लिए बेहद मूल्यवान भी है। इसके जरिए इतिहास के बारे में भी बहुत कुछ रिकॉर्ड मिल सकता है। वैज्ञानिकों को यह भी जानना होगा कि चंद्रमा पर कितनी बर्फ है और किस रूप में है। उसे पानी के रूप में शुद्ध किया जा सकता है या नहीं।

मनुष्य के लिये बेहतर संकेत

अगर चंद्रमा पर बर्फ की अधिक मात्रा मिलती है तो यह मनुष्य के लिए अच्छा संकेत होगा। इससे भविष्य के मिशन और आसान हो सकते हैं। इसका उपयोग चंद्रमा पर उपकरणों को ठंडा करने और इसे लंबे समय तक चलने के लिए भी किया जा सकता है। पानी के अंगों को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन परमाणुओं में तोड़ा जा सकता है, जिनका उपयोग रॉकेट प्रोपेलेंट्स के रूप में किया जाता है।

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in