Calcutta High Court : वादा तो किया था कि बुढ़ापे की लाठी बनेगा

Calcutta High Court : वादा तो किया था कि बुढ़ापे की लाठी बनेगा
Published on

अब दादी की ख्वाहिश है बाकी जीवन किसी ओल्ड एज होम में बीत जाए
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : यह कहानी 93 साल की एक महिला की है। अब उनकी बस इतनी भर ख्वाहिश है कि फ्लैट और संपत्ति की बिक्री कर के किसी ओल्ड एज होम में रहने को चली जाए। जीवन के जो दो चार साल बचे हैं वे शांती के साथ बीत जाएं। नाती ने तो बुढ़ापे की लाठी बनने का वादा किया था पर अब तो रोटी भी मयस्सर नहीं है। इसी आस में उन्होंने हाई कोर्ट में रिट दायर की थी।
एडवोकेट तिरुपति मुखर्जी और एडवोकेट जेनिफर आलम ने बताया कि विष्णुमाया शाहा ने यह रिट दायर की थी। दो बेटों के निधन के बाद नाती मिठू साहा ही बस एक सहारा रह गया था। मिठू के पिता ने अपनी पत्नी के निधन के बाद किसी और महिला से ब्याह रचा लिया था और घर छोड़ कर चले गए थे। इसके बाद नाती ही दादी की आंखों का चिराग बन गया था। विष्णूमाया साहा के पास दो सौ वर्गमीटर के तीन फ्लैट हैं। एक तो उन्होंने अपने एक बेटे की पत्नी को दे दिया है और बाकी दो फ्लैट उनके पास हैं। नाती के प्रति उमड़ते प्रेम के कारण उन्होंने एक वसीयत कर दी थी। इसमें कहा गया था कि उनके निधन के बाद इन दोनों फ्लैटों का मालिकाना हक उनके नाती मिठू साहा के नाम हस्तांतरित हो जाएगा। इसमें यह शर्त थी कि वह उनकी देखभाल करता रहेगा। नाती ने भी ताउम्र उनकी देखभाल और सेवा करने का वादा किया था। उन्होंने नाती का ब्याह भी रचाया था। पर पिछले साल से सब कुछ बदल गया। जिन्होंने ताउम्र साथ निभाने का वादा किया था वे अब जुल्म ओ सितम ढाने लगे। मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न के साथ ही रोटी तक के लिए तरसाने लगे। उसने नेताजी नगर पुलिस स्टेशन में कई बार शिकायत की पर कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद उसे घर से बेघर कर दिया गया तो हाई कोर्ट में रिट दायर कर दी। जस्टिस जय सेनगुप्त ने आदेश दिया है कि 24 घंटे की नोटिस के अंदर पिटिशनर को उसके घर में पहुंचा दिया जाए। इसके साथ ही पुलिस को आदेश दिया है कि वह हालात की सख्ती से निगरानी करेगी और किसी भी स्थिति में उनके साथ बदसुलुकी नहीं होने दिया जाए। अब इसे बदकिस्मती नहीं तो और क्या कहेंगे कि जब अपना घर होने के बावजूद ओल्ड एज होम में रहना मजबूरी बन जाए।

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in