अमृत भारत स्टेशन योजना: पश्चिम बंगाल में 101 स्टेशनों का हो रहा कायाकल्प

लोकसभा में पेश हुआ रेलवे मंत्रालय का जवाब
अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत पुनर्विकसित तमलुक स्टेशन
अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत पुनर्विकसित तमलुक स्टेशन
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मेघा, सन्मार्ग संवाददाता

नई दिल्ली/कोलकाता : भारतीय रेलवे द्वारा शुरू की गई अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत देशभर में 1337 स्टेशनों का पुनर्विकास किया जा रहा है, जिनमें से 101 स्टेशन पश्चिम बंगाल में स्थित हैं। यह जानकारी बुधवार को लोकसभा में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक अनstarred प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

योजना के तहत क्या-क्या हो रहा है?

रेल मंत्रालय ने बताया कि यह एक दीर्घकालिक योजना है, जिसके तहत स्टेशनों का मास्टर प्लान तैयार किया जाता है और विभिन्न चरणों में उनका विकास किया जाता है। प्रमुख कार्यों में शामिल हैं—

स्टेशन प्रवेश और परिसंचरण क्षेत्रों का उन्नयन, स्टेशन को शहर के दोनों हिस्सों से जोड़ना, भवन का आधुनिकीकरण, प्रतीक्षालय, शौचालय, बैठने की व्यवस्था, जल सुविधा का सुधार, बड़े फुट ओवरब्रिज, एयर कंकॉर्स, लिफ्ट, एस्केलेटर और रैम्प, प्लेटफॉर्म सतह व शेड का उन्नयन, ‘वन स्टेशन वन प्रोडक्ट’ के लिए कियोस्क, पार्किंग व मल्टीमॉडल इंटीग्रेशन दिव्यांगजन सुविधाएं आधुनिक यात्री सूचना व्यवस्था आदि।

पश्चिम बंगाल के 101 स्टेशन शामिल : प्रमुख स्टेशनों में हावड़ा, सियालदह, कोलकाता, बर्धमान, आसनसोल, जलपाईगुड़ी रोड़, मेचेदा, खड़गपुर, पुरुलिया, अलीपुरद्वार, धुपगुड़ी, दिघा आदि कई बड़े स्टेशन शामिल हैं।

9 स्टेशनों का काम पूरा : रेल मंत्रालय के अनुसार, पश्चिम बंगाल में अनारा, बराभूम, हल्दिया, जॉयचंडी पहाड़, कल्याणी घोषपाड़ा, कामाख्यागुड़ी, पानागढ़, सीरी, तमलुक स्टेशनों का काम पूरा हो चुका है।

अन्य स्टेशनों पर तेज़ी से काम जारी : कई स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म सुधार, स्टेशन भवन, सर्कुलेटिंग एरिया, लिफ्ट-एस्केलेटर, फुट ओवरब्रिज, दिव्यांगजन सुविधाएं, सूचना बोर्ड आदि के कार्य अंतिम चरण में हैं। अज़ीमगंज, बरहामपुर कोर्ट, खागराघाट रोड, न्यू फरक्का, जंगीपुर रोड, धूलियन गंगा जैसे स्टेशनों पर कई प्रमुख कार्य पूरे हो चुके हैं और शेष कार्य जारी हैं। पूर्व रेलवे, दक्षिण-पूर्व रेलवे, उत्तर-पूर्व सीमांत रेलवे और मेट्रो रेलवे—इन चारों जोनों को मिलाकर 2025-26 के लिए ₹1317 करोड़ का आवंटन किया गया है। रेल मंत्रालय ने बताया कि ये कार्य जटिल होते हैं—फायर, हेरिटेज, पेड़ कटाई, एयरपोर्ट क्लीयरेंस, यूटिलिटी शिफ्टिंग, ट्रेनों का संचालन आदि कारणों से समय-सीमा तय करना संभव नहीं है।

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