कोलकाता : धन के त्यौहार धनतेरस पर माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु और कुबेर की पूजा करने का महत्व है। 10 नवंबर की दोपहर से 11 नवंबर की दोपहर तक धनतेरस है। इस दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए झाड़ू खरीदा जाता है, लेकिन झाड़ू खरीदने के बाद लोग एक छोटी सी गलती कर देते हैं, जिसकी वजह से माता लक्ष्मी प्रसन्न होने की वजह नाराज हो जाती हैं। इसलिए माता लक्ष्मी को नाराज नहीं करने के लिए कोई छोटी भी गलती नहीं होना चाहिए। जिस तरह से धनतेरस पर नई झाड़ू को खरीद कर उसकी पूजा अर्चना करते हैं, कुमकुम लगाते हैं ठीक उसी तरह पुरानी झाड़ू में भी काला धागा बांधकर ऐसी जगह पर रखा जाता है। जहां पर दूसरे लोगों की नजर ना पड़े, जब आप नई झाड़ू को कुमकुम रोली लगाते हैं पुष्प अर्पित करते हैं तो पुरानी झाड़ू के साथ भी ऐसा ही करना चाहिए इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
झाड़ू को मानते हैं लक्ष्मी का प्रतीक
जिस तरह से धनतेरस पर सोना चांदी आभूषण बर्तन खरीदने का धार्मिक महत्व है। ठीक उसी तरह झाड़ू भी खरीदी जाती है। झाड़ू में माता लक्ष्मी का वास होता है और इसे लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। ठीक इसी तरह पुरानी झाड़ू में भी लक्ष्मी का वास होता है, इसलिए अगर आप नई झाड़ू के आते ही उसे घर के बाहर फेंक देते हैं या इधर-उधर डालते हैं तो माता लक्ष्मी नाराज होती हैं।
इस कारण नई झाड़ू के आते ही तुरंत झाड़ू को नहीं फेंकना चाहिए और धनतेरस के दिन जिस तरह नई झाड़ू की पूजा करते हैं वैसे ही उसके पास रखकर पुरानी झाड़ू का भी पूजन करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति पर कर्ज है और वह झाड़ू खरीदे तो कर्ज से मुक्ति मिलती है। कहीं पर नकारात्मकता है और नई झाड़ू खरीदें तो सकारात्मक का संचार होता है।