78 साल के बुजुर्ग ने लिया 9वीं कक्षा में दाखिला !

78 साल के बुजुर्ग ने लिया 9वीं कक्षा में दाखिला !
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नई दिल्ली : सीखने और शौक पूरे करने की कोई उम्र नहीं होती। जब जो दिल करे, तभी कर लेना चाहिए। मिजोरम में रहने वाले 78 साल के लालरिंगथारा की कहानी से यही पता चलता है। वो चम्फाई जिले के ह्रुआइकोन गांव में रहते हैं। लालरिंगथारा इस उम्र में भी रोज राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) हाई स्कूल में क्लास अटेंड करने के लिए तीन किलोमीटर की दूरी तय करते हैं। वो अपनी शिक्षा पूरी करने के अपने लंबे समय के सपने को पूरा करने के लिए स्कूल की वर्दी पहनते हैं और किताबों से भरा बैग लेकर जाते हैं।

शिक्षा पूरी करने के लिए स्कूल जाते हैं
एक रिपोर्ट के अनुसार, टेलीविजन समाचार रिपोर्ट्स को समझने और एप्लिकेशन लिखने के लिए लालरिंगथारा ने अपनी अंग्रेजी में सुधार करने के लिए कक्षा 9 में दाखिला लेने का फैसला किया। उनका जन्म साल 1945 में भारत-म्यांमार सीमा के पास खुआंगलेंग गांव में हुआ था। अपने पिता की असामयिक मृत्यु के बाद उन्हें कक्षा 2 के बाद स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने खेतों में अपनी मां की मदद करके परिवार का पेट भरा। गरीबी और लगातार स्थानांतरण के कारण वो अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सके। हालांकि, अब वो अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए स्कूल जाते हैं।
2018 में खबरों में छाए थे

ऐसा पहली बार नहीं है, जब लालरिंगथारा खबरों में छाए हों। इससे पहले साल 2018 में उन्होंने न्यू ह्रुआइकॉन मिडिल स्कूल में कक्षा 5वीं में दाखिला लिया था। उन्होंने 2018 में एक इंटरव्यू में द नॉर्थईस्ट टुडे को बताया था, 'मुझे मिजो भाषा में पढ़ने या लिखने में कोई समस्या नहीं होती। हालांकि, शिक्षा के प्रति मेरी इच्छा अंग्रेजी भाषा सीखने के मेरे जुनून से प्रेरित हुई है। आजकल, साहित्य में भी कुछ अंग्रेजी शब्द आते हैं, जो अकसर मुझे कन्फ्यूज कर देते हैं, इसलिए मैंने अपने ज्ञान को बेहतर बनाने के लिए स्कूल वापस जाने का फैसला लिया है, खासकर अंग्रेजी भाषा को सीखने के लिए।'

हेडमास्टर ने की थी काफी तारीफ

न्यू ह्रुइकावन मिडिल स्कूल, वनलालकिमा के हेडमास्टर इंचार्ज ने लालरिंगथारा के इस समर्पण और दृढ़ संकल्प की काफी तारीफ की थी। उन्होंने साल 2018 में एक न्यूज आउटलेट से कहा था, 'लालरिंगथारा छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए समान रूप से प्रेरणा और चुनौती दोनों है। सीखने का जुनून रखने वाला शख्स उस सभी तरह के समर्थन का हकदार होता है, जो उसे प्रदान किया जा सकता है।'

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