मुंबई : जून के महीने को पूरी दुनिया में ‘प्राइड मंथ’ (Pride Month) के तौर पर मनाया जाता है। इस महीने में समलैंगिक, उभयलिंगी और ट्रांसजेंडर (LGBT) के आधिकारों, उनके मान-सम्मान और इस समुदाय को लेकर समाज में जागरूकता फैलाने का काम किया जाता है। आइए इस प्राइड मंथ में जानते हैं वो 9 बॉलीवुड फिल्में जिन्होनें समलैंगिक अधिकारों के लिए हल्के-फुल्के मनोरंजन के साथ समाज में जागरूकता फैलाई।
शुभ मंगल ज्यादा सावधान 2020
यह फिल्म एक गे कपल (Gay Couple) की प्यार की कहानी पर आधारित है, जिस पर उनके परिवार वाले और समाज उनके साथ होने पर एतराज करते हैं। उनका बाहिष्कार करते हैं, ताने देते हैं और फिर वो समाज को बदलने की पहल करते हैं। हल्के फुल्के मनोरंजन के साथ यह फिल्म बड़ा संदेश देती है।
अलीगढ़ 2016
अलीगढ़ एक भारतीय हिन्दी फिल्म है, जिसको डायरेक्ट हंसल मेहता ने किया है। यह एक सच्ची कहानी पर आधारित है।यह फिल्म श्रीनिवास रामचन्द्र सिरस के जीवन पर आधारित है, जिन्हें नौकरी से उनके समलैंगिक होने की वजह से हटा दिया जाता है। इस फिल्म को भारत में 26 फरवरी 2016 में रिलीज किया गया था।
‘मार्गरिटा विद अ स्ट्रॉ’ 2015
फिल्म की कहानी कुछ इस तरह है कि लैला (कल्कि कोचलिन ) एक मस्तिष्क पक्षाघात (Cerebral Palsy) की शिकार लड़की है जो व्हीलचेयर पर चलती है और जिसकी जिंदगी घर, कॉलेज और फ्रेंड्स के साथ गुजरती है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली लैला को गाने लिखने का शौक है। आगे की पढ़ाई के लिए जब लैला का एडमिशन न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में हो जाता है तो उसे पाकिस्तान मूल की युवा लड़की खानुम से इश्क हो जाता है। समलैंगिक संबंधों पर यह फिल्म रौशनी डालती है।
अनफ्रीडम 2014
यह फिल्म एक बॉलीवुड एडल्ट ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशक और निर्माता राज कुमार अमित द्वारा किया गया है। इस फिल्म में विक्टर हुसैन, आदिल हुसैन, भानु उदय, प्रीती गुप्ता, भवानी ली, अंकुर विकाल आदि जैसे मुख्य कलाकार थे। इस फिल्म कहानी की दो समलैंगिक महिला प्रेमीयों के बारे में है। बता दें, इस फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने भारत में सार्वजानिक रिलीज के लिए इनकार कर दिया था। अब यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है। हालांकि, इस फिल्म को यूनाइटेड स्टेट में भी रिलीज किया गया है।
माई ब्रदर निखिल 2005
डायरेक्टर डोमिनिक डिसूजा के द्वारा बनाई गई फिल्म माई ब्रदर निखिल साल 2005 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में संजय सूरी, जूही चावला, विक्टर बनर्जी, ल्पुराब कोहली आदि मुख्य भूमिका में नजर आये है। यह फिल्म ना सिर्फ समलैंगिक रिश्तो को लेकर जागरूकता फैलाती है बल्कि साल 2005 में भारत में एचआईवी और एड्स जैसी बीमारियों को लेकर भी भ्रम को दूर करते नजर आती है। इस फिल्म ने उस समय इन बीमारियों को लेकर भी जागरूकता फैलाने का काम करती है।
द पिंक मिरर 2003
यह फिल्म श्रीधर रंगायन द्वारा निर्मित और निर्देशित है। इस फिल्म को भारतीय पारलैंगिक (transsexual) लोगों पर व्यापक रूप से ध्यान केंद्रित करने वाली पहली भारतीय फिल्म कहा जाता है, जिसमें पूरी कहानी दो पारलैंगिकों और एक समलैंगिक किशोर के इर्द-गिर्द घूमती है। 2003 में, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) भारतीय सेंसर बोर्ड ने भारतीय ट्रांससेक्शुअल पर आधारित रंगायन की फिल्म पर रोक लगा दी थी। सेंसर बोर्ड ने कहा कि फिल्म ‘अश्लील और आपत्तिजनक’ हैं।
फायर-1996
डायरेक्टर दीपा मेहता की फिल्म फायर में एक मीडिल क्लास परिवार में दो महिलाओं की कहानी को दिखाया गया है, जो देवरानी और जेठानी होती हैं और दोनों के बीच समलैंगिक रिश्ते पनपने लगते हैं। बाद में दोनों अपनी आजाद दुनिया बसाने की कोशिश करती हैं। इस फिल्म को पितृसत्तात्मक व्यवस्था पर चोट के तौर पर देखा गया था और जिस समय फिल्म रिलीज हुई थी इसे कई संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ा था।