नई दिल्ली: बड़े पर्दे पर कॉमेडी मूवी ‘फुकरे 3’ रिलीज हो गई है। फिल्म में पुलकित सम्राट के अलावा मनजोत, वरुण शर्मा, पंकज त्रिपाठी और ऋचा चड्ढा ने जबरदस्त एक्टिंग की है। ‘फुकरे 3’ के इस रिव्यू को पढ़कर पता चलेगा कि इस बार चूचा की चमत्कारी शक्तियों का जादू चला या नहीं।अगर आप चाहते हैं कि सिनेमा हॉल में कॉमेडी फिल्म देखना तो ‘फुकरे 3’ जरूर देखनी चाहिए।
फिल्म की कहानी फुकरों के कारोबार चौपट होने से शुरू होती है। व्यापार में मंदी की वजह से न तो उनकी दुकान चल रही है, न ही उनके जेब में पैसे हैं। अब सभी चूचा के ‘देजा चू’ के सहारे बच्चों के कच्छों से लेकर लोगों के कुत्ते, बिल्ली ढूंढ कर पैसे कमा रहे हैं। आपको बता दें, ‘देजा चू’ चूचे (वरुण शर्मा) कि वो पावर है, जो उसे भविष्य दिखाती है। फुकरों की सोने की लंका इन छोटे-मोटे काम का ‘देजा चू’ करने में ही दहन हो चुकी है और जब लंका की बात कर ही रहे हैं तो फुकरों की तरह भोली पंजाबन भी रावण राज्य से राम राज्य में जाकर परेशान है। भोली के इलेक्शन की कम्पैन के दौरान हनी (पुलकित सम्राट) और पंडित जी (पंकज त्रिपाठी) ये तय कर लेते हैं कि भोला भी इलेक्शन लड़ेगा और फिर उनकी जिंदगी में भोली पंजाबन तूफान लेकर आती हैं।
सभी किरदारों के अलग-अलग केमिस्ट्री
फुकरे 3 का हीरो वरुण शर्मा (चूचा) ने पूरी तरह से अपने इस किरदार को न्याय दिया है। वरुण और पंकज त्रिपाठी हो, वरुण-पुलकित हो या फिर वरुण-मनजोत हो, सभी के बीच एक अलग केमिस्ट्री है और ऑडियंस इस केमिस्ट्री को खूब इंजॉय करती हैं। छिछोरे में सेक्सा हो या फिर फुकरे में चूचा, अपनी हर फिल्म में वरुण ने उनकी वेर्सटिलिटी को प्रूफ किया है। पंकज त्रिपाठी ने फिर एक बार पंडित जी के रूप में कमाल किया है। पुलकित सम्राट हमेशा की तरह हनी बनकर चूचा के पागलपन को संभालने का काम बखूबी निभा रहे हैं। मनजोत सिंह भी सेकंड हाफ में अपने एक्सप्रेशन से ऑडियंस को खूब हंसाता है। ऋचा चड्ढा उर्फ भोली पंजाबन अब सच में ‘भोली’ लगने लगी है।
‘सब भूल जाना पर पासपोर्ट नहीं’
फिल्म मृगदीप सिंह लांबा के निर्देशन में बनी है। इस फिल्म की राइटिंग न तो अलग है, न ही शानदार है। लेकिन राइटर और निर्देशक अपने स्मार्ट वर्क से पूरी कहानी को इतना मजेदार बना देते हैं कि पूरे थिएटर में आपको केवल हंसी के ठहाके सुनाई देते हैं। फुकरे 1 और 2 से फुकरे 3 ज्यादा मजेदार है। इसकी कॉमेडी में भी बिना कोई ज्ञान दिए एक छोटा सोशल मैसेज भी मेकर्स देते हैं।जमुना पार की ममता कुलकर्णी लगती हो, वास्को डी गामा ने कहा- सब भूल जाना पर पासपोर्ट कभी मत भूलना जैसे डायलॉग फिल्म का मजा दुगना कर देते हैं.।निर्देशक-राइटर के साथ-साथ इसका श्रेय एक्टर्स को भी जाता है, जिन्होंने अपने एक्टिंग के दम पर स्क्रिप्ट को बिल्कुल स्पेशल बना दिया है।