

मुंबई : फिल्म निर्देशक श्रीराम राघवन और अभिनेता धर्मेंद्र दोनों ही 'जॉनी गद्दार' के बाद एक साथ काम करने के इच्छुक थे और इसी के बाद 'इक्कीस' बनी जो धर्मेंद्र के करियर की अंतिम फिल्म साबित हुई। राघवन का कहना है कि धर्मेंद्र ने इस ‘युद्ध ड्रामा’ में बेहतरीन काम किया।दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का सोमवार को 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
धर्मेंद्र का जाना व्यक्तिगत क्षति : राघवन
श्रीराम राघवन के लिए धर्मेंद्र का जाना व्यक्तिगत क्षति है, जिन्होंने धर्मेंद्र की फिल्में देखते हुए अपना बचपन बिताया है। उन्होंने बताया कि 'इक्कीस' का पोस्टर जारी करने के बाद धर्मेंद्र से जो प्यार मिला, उससे टीम खुश थी, लेकिन कुछ समय बाद ही उनके निधन की खबर आ गई। ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में राघवन ने कहा, 'जब मेरी फ्लाइट मुंबई उतरी तो मेरे निर्माता ने मुझे फोन किया और हम सीधे श्मशान घाट गए। अचानक यह सब, आपको अभिभूत कर देता है।'
'इक्कीस' से धर्मेंद्र को श्रद्धांजलि
यह पूछे जाने पर कि क्या 'इक्कीस' धर्मेंद्र को एक उपयुक्त श्रद्धांजलि होगी? निर्देशक ने उम्मीद जताई कि यह सबके लिए एक यादगार साबित होगी। उन्होंने कहा, 'उनकी भूमिका काफी अहम है, यह फिल्म में बहुत महत्वपूर्ण है। वह एक बेहतरीन अभिनेता थे और उन्होंने फिल्म में अद्भुत काम किया है।'
राघवन ने याद किया, 'उन्हें (धर्मेंद्र को) बस कैमरे के सामने रहना पसंद था। 'जॉनी गद्दार' के दौरान वह पूरी तरह जोश से भरे रहते थे। 'इक्कीस' में भी ऐसा ही था। वह थोड़े थके हुए दिखते थे लेकिन कैमरा शुरू होते ही अचानक उनका दूसरा रूप सामने आ जाता था।'
जॉनी गद्दार के समय मैं घबड़ाया हुआ था : राघवन
राघवन ने बताया, 'जब मैंने उन्हें कहानी सुनाना शुरू किया तो उन्होंने इसका आनंद लिया।’ उन्होंने कहा, ‘दूसरा हाफ थोड़ा कमजोर है। बाद में हमने एक पुलिस अधिकारी का किरदार जोड़ा, जिसे गोविंद नामदेव ने निभाया।' राघवन ने खुलासा किया कि 'जॉनी गद्दार' का प्रसिद्ध संवाद, 'शुरुआत मजबूरी से होती है, धीरे-धीरे मजबूरी जरूरत बन जाती है और फिर जरूरत आदत बन जाती है', खुद धर्मेन्द्र ने दिया था।
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