

नयी दिल्ली : धर्मेंद्र एक ऐसे सहज अभिनेता, जो फिल्मों में अपने शक्तिशाली मुक्कों से शेट्टी जैसे खूंखार खलनायकों को धूल चटाते दिखते थे, वहीं वे ‘सत्यकाम’ और ‘अनुपमा’ जैसी फिल्मों के गंभीर किरदारों से दर्शकों को भावुक कर देते थे, हल्की सी मुस्कान से लोगों का दिल जीत लेते थे, तो दूसरी तरफ ‘चुपके-चुपके’, ‘शोले’ में अपनी हास्य तथा बहुमुखी भूमिकाओं से दर्शकों को हंसा-हंसाकर लोटपोट कर देते थे। धर्मेंद्र ऐसे अनोखे अभिनेता थे, जिन्होंने करीब 65 साल के अपने फिल्मी करियर में बिना रुके लगातार कई प्रकार की भूमिकाएं निभाईं।
बॉलीवुड के अनमोल रत्न
ही मैन, भावुकता और करिश्मा..और इन सब गुणों के साथ सबसे खूबसूरत कलाकारों में गिने जाने वाले धर्मेंद्र ने गंभीर फिल्म ‘सत्यकाम’ से लेकर रोमांटिक फिल्म ‘बहारें फिर भी आएंगी’ तक, और फिर एक्शन फिल्म ‘शोले’ से लेकर गुदगुदाती ‘चुपके चुपके’तक सभी तरह की फिल्मों में काम किया। उनके साथ करियर शुरू करने वाले या समकालिक कई कलाकार अभिनय की दुनिया छोड़कर जाते रहे, लेकिन धर्मेंद्र हाल तक फिल्मों में दिखाई देते रहे।
बॉलीवुड ने खो दिया हीरा
धर्मेंद्र का सोमवार को मुंबई में निधन हो गया। आगामी 8 दिसंबर को वह 90 साल के हो जाते। सन् 2023 में, जब वह 88 साल के थे, तो करण जौहर की ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’में वह शबाना आज़मी के साथ रोमांस करते नजर आए। इस फिल्म में उनका चुंबन दृश्य खबरों में बना रहा। इस दौर में उनकी चाल धीमी हो गयी थी, शरीर से उम्र झलक रही थी, लेकिन आंखों की चमक और प्यारी सी मुस्कान बैसी ही थी।
वह ऐसे अभिनेता थे, जिन्होंने हिंदी फिल्म जगत को दशकों तक ‘श्वेत-श्याम’ से रंगीन तक और अब डिजिटल युग तक बदलते देखा तथा हर दौर में अपनी प्रासंगिकता बरकरार रखी। धर्मेंद्र ने राजेश खन्ना की सुपर सितारा छवि और अमिताभ बच्चन की बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद मजबूती से अपने पैर व्यावसायिक सिनेमा में जमाए रखे।
200 रुपये में किया था गुजारा
धर्मेंद्र ने मुंबई में गुजारा करने के लिए एक ड्रिलिंग फर्म में 200 रुपये महीने पर काम किया। पहला ब्रेक 1960 में अर्जुन हिंगोरानी की फिल्म ‘दिल भी तेरा, हम भी तेरे’से मिला। उन्होंने बाद में साथ में :कब? क्यों? और कहां?’ तथा ‘कहानी किस्मत की’ जैसी फिल्में भी कीं। फिल्मों में उनका पदार्पण सफल नहीं रहा, लेकिन उन्हें पहचान मिलनी शुरू हो गयी। बिमल रॉय ने उन्हें नूतन और अशोक कुमार के साथ अपनी फिल्म ‘बंदिनी’ में लिया।
‘आई मिलन की बेला’और ‘हकीकत’ तथा ‘काजल’ जैसी कई फिल्मों के बाद, मीना कुमारी के साथ 1966 की फिल्म ‘फूल और पत्थर’ से उन्हें एक सितारा पहचान मिली। उसी साल उन्हें ऋषिकेश मुखर्जी की पहली फिल्म ‘अनुपमा’ में देखा गया। बिमल मुखर्जी ने धर्मेंद्र की पर्दे पर बन गयी पहचान से अलग ‘मझली दीदी’, ‘सत्यकाम’, ‘गुड्डी’, ‘चैताली’ और बेशक, ‘चुपके चुपके’ जैसी फिल्मों में कास्ट किया।
‘चुपके चुपके’ के बॉटनी प्रोफेसर परिमल त्रिपाठी का किरदार लंबे समय तक याद रखा जाएगा। इस फिल्म में उन्होंने 70 और 80 के दशक में बड़ा नाम बन चुके अमिताभ बच्चन के साथ काम किया। ‘शोले’ में भी जय और वीरू के उनके किरदारों ने उनके तालमेल को बखूबी दर्शाया।बाद के दशकों में, धर्मेंद्र चरित्र भूमिकाएं निभाने लगे।
धर्मेंद्र की संपत्ति
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, धर्मेंद्र 450 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक थे। उन्होंने अपने लंबे करियर में करीब 300 फिल्मों में काम किया और 450 करोड़ रुपये से अधिक का अंपायर खड़ा किया। इसके अलावा उन्होंने रेस्टोरेंट बिजनेस, हॉस्पिटल और अन्य क्षेत्रों में निवेश किया था। उनका मशहूर रेस्टोरेंट ‘गरम धरम’ और करनाल हाइवे पर स्थित ‘हीमैन’ रेस्टोरेंट उनकी बिजनेस की समझ के उदाहरण हैं। धर्मेंद्र ने अपने करियर की शुरुआत 1960 में फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से की थी, जिसके लिए उन्हें सिर्फ 51 रुपये मिले थे।
दिलीप कुमार से ली प्रेरणा
पंजाब के लुधियाना जिले के नसरली गांव में 8 दिसंबर, 1935 को किसान परिवार में एक आदर्शवादी स्कूल टीचर के घर जन्मे धर्मेंद्र अक्सर दिलीप कुमार की फिल्में देखते थे। धीरे-धीरे, एक सपना पैदा हुआ कि अपने दिलीप कुमार की तरह पोस्टरों पर अपना नाम देखें। फिल्मों से उनका रिश्ता ,न् 1958 में शुरू हुआ जब ‘फिल्मफेयर’ मैगजीन ने देशभर में ‘टैलेंट हंट’ की घोषणा की।
युवा धरम ने अपनी किस्मत आजमाने का फ़ैसला किया, स्पर्धा जीती और मुंबई के लिए अपना बोरिया बिस्तर बांध लिया। उन्हें जिस फिल्म का वादा किया गया था, वह कभी नहीं बनी और संघर्ष का दौर शुरू हुआ। महान अभिनेता धर्मेंद्र के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है और भारतीय कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। सिनेमा में लगभग सात दशकों के उनके अद्वितीय योगदान को हमेशा सम्मान और मोहब्बत के साथ याद रखा जाएगा।