Adipurush Review: रामायण का अल्ट्रा मॉर्डन रूप, जहां किरदारों पर भारी पड़ता है VFX

Adipurush Review: रामायण का अल्ट्रा मॉर्डन रूप, जहां किरदारों पर भारी पड़ता है VFX
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मुंबई : इस साल की सिनेप्रेमियों के लिए रामायण के रूप में एक तोहफे के रूप में पेश की गई है फिल्म आदिपुरुष। राम सीता की कहानी को डायरेक्टर ओम राउत ने थोड़ा मॉडर्न टच देने का प्रयास किया है और शायद यही वजह भी है कि फिल्म तमाम तरह की हाई वीएफएक्स और कंप्यूटर जेनरेटेड इमेज (CGI) से लबरेज दिखती है। आखिर ओम राउत का यह एक्सपेरिमेंट कितना सफल रहा, जानने के लिए पढ़ें ये रिव्यू…

कहानी
रामाचारित मानस से प्रेरित इस फिल्म में राम के वनवास और अयोध्या वापसी तक के भाग को दिखाया गया है। कहानी की शुरुआत में दशरथ और कैकयी के संवाद से शुरू होती है, जहां राम, सीता और लक्ष्मण अपना राजपाठ छोड़ वनवास के लिए निकलते हैं। इसी बीच सूर्पनखा की नाक काटने के प्रतिशोध में लंकापति रावण सीता हरण के लिए एक साधू के रूप में जंगल आकर उन्हें धोखे से ले जाते हैं. इधर राम और लक्ष्मण सीता की खोज में सबरी, हनुमान और  सुग्रीव से मिलकर रामसेतु का निर्माण करते हैं और लंका से सीता को वापस लाने में लग जाते हैं।

कैसा है फिल्‍म का निर्देशन

तन्हाजी फिल्म के लिए नेशनल अवार्ड पा चुके ओम राउत ने आज के यूथ के लिए रामायण बनाई है। फिल्म में भी रावण का अवतार ओल्ड ट्रेडिशनल न होकर अल्ट्रा मॉडर्न सा लगता है। फिल्म भले ही अपने टेकनिकल एस्पेक्ट में खरी उतरती हो लेकिन इसके स्क्रीनप्ले में कई लूप होल्स साफ नजर आते हैं। मसलन रामायण की कहानी कइयों के लिए इमोशन हैं लेकिन यहां फिल्म देखने के दौरान वही फैक्टर मिसिंग सा लगता है। कहानी कई जगह ऐसी लगती है, मानो फेसबुक या व्हाट्सएप के फॉरवर्ड मेसेज देख कर स्क्रिप्ट का ताना बाना बुना गया है। कुछ डायलॉग तो पूरी तरह व्हाट्सएप की भाषा के तर्ज पर लिखे गए हैं। 'तेरे बाप की जली', 'बुआ का बगीचा नहीं है', जैसे आज के स्लैंग एक पौराणिक कथा में कितनों को पसंद आएंगे ये देखने वाली बात होगी। राइटिंग इस फिल्म का कमजोर पक्ष साबित होता है।

टेक्निकल 
फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष इसका वीएफएक्स है। हालांकि वीएफएक्स का इस्तेमाल इतना ज्यादा है कि एक पॉइंट पर यह कहानी और किरदार दोनों पर हावी होता जाता है। रावण रामायण का विलेन था लेकिन उसकी छवि में कोई सकारात्मक पक्ष में हमने अब तक की रामायणों में देखे हैं। आदिपुरुष का रावण आज के दौर का विलेन सा लगता है। सोने की लंका का प्रेंजेंटेशन हम भारतीयों के लिए आकर्षण और कौतुहल जैसी रही है लेकिन यहां उस लंका को देखकर डर लगता है। रावण का सांप से मसाज करना थोड़ा अल्ट्रा मॉर्डन प्रेजेंटेशन है। हां, फिल्म के कुछ सीन्स ऐसे हैं, जिसका विजुअल इफेक्ट देखकर आप स्क्रीन से नजरें नहीं  हटा पाएंगे। खासकर के आखिर में राम और रावण की लड़ाई, वो पंद्रह मिनट का ट्रीट सा है। फिल्म का म्यूजिक बैकग्राउंड दमदार है, रामसेतु बनाने के दौरान जिस तरह के म्यूजिक का इस्तेमाल होता है, वो रोंगटे खड़ा करता है। वहीं फिल्म के दो गानें, राम सिया राम और जय श्री राम ये ही दमदार है। एक गाना, जहां राम और सीता के प्रेम को फिल्माया गया है, उसके शब्द कुछ खटकते हैं। एडिट टेबल पर फिल्म का फर्स्ट क्रिस्प किया जा सकता था। फर्स्ट हाफ में सीता-राम पर फिल्माए गाने की बिलकुल जरूरत नहीं थी।

एक्टिंग 
बाहुबली में जिस प्रभास ने मैजिक क्रिएट किया था, राम के रूप में वो जादू नहीं दिखता है। कुछ जगहों को छोड़ दिया जाए, तो प्रभास की एक्टिंग भी कमाल की नहीं कही जा सकती। हां, यहां रावण बने सैफ अली खान दिल जीत जाते हैं। उनकी परफॉर्मेंस प्रभास पर भारी पड़ती है, जिस स्वैग के साथ उन्होंने मॉर्डन रावण को कैरी किया है, ऐसा लगता है कि कहानी उन्हीं के लिए लिखी गई हो। हनुमान बने देवदत्त नागा का काम भी दमदार रहा। लंका में जाकर आग लगाना, संजीवनी बूटी के लिए पहाड़ उठा लाना, जैसी भारी-भरकम सीन्स पर भी वो खरे उतरते हैं। जानकी के रूप में कृति सेनन बेशक खूबसूरत लगी हैं लेकिन वो महज एक्ट्रेस की तरह ही स्क्रीन पर नजर आती हैं, सीता के किरदार का मैजिकल टच मिसिंग सा लगता है। लक्ष्मण बने सनी सिंह का काम भी ठीक रहा। इंद्रजीत बने वत्सल सेठ और विभिषण के रूप में … ने अपना काम इमानदारी से किया है। कमाल की बात है कि कुछ कलाकारों की एक्टिंग के सामने सीजीआई किरदार भारी पड़ते दिखे हैं।

क्यों देखें

भगवान राम की कहानी को मॉर्डन रूप में कैसे परोसा जा सकता है, उसके लिए इस फिल्म को एक मौका तो जरूर मिलना चाहिए। आदिपुरुष फिल्म को देखने का सबसे बड़ा कारण इसकी ग्रैंडनेस और वीएफएक्स है। फिल्म स्टूडेंट इससे सीख ले सकते हैं। वहीं इमोशनल एंगल से अगर फिल्म देखने का प्लान बना रहे हैं, तो निराशा हाथ लगेगी। हां, एक बात इस फिल्म का मजा केवल सेल्यूलॉइड स्क्रीन पर ही लिया जा सकता है। कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन पर फिल्म का प्रभाव औसत ही रहेगा।

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