नई दिल्ली - वर्ष 2025-26 के लिए आम बजट अब कुछ दिनों में ही सबके सामने आ जाएगा। 1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट पेश करेंगी। इस बार बजट में मिडिल क्लास के लिए कुछ राहत दी जाने की उम्मीद है। बजट करीब आते ही हलवा सेरेमनी की काफी चर्चा होने लगती है। कई लोगों को यह भी नहीं पता होता कि बजट से पहले हलवा क्यों बनता है और इसका क्या महत्व है। आज हम आपको इसका इतिहास बताऐंगे।
हलवा सेरेमनी कब मनाई जाती है ?
हलवा सेरेमनी बजट के दस्तावेजीकरण के बाद मनाई जाती है। यह कार्यक्रम बजट प्रेस में होता है। बजट प्रेस नॉर्थ ब्लॉक में नीचे बेसमेंट में स्थित है। यहां एक बड़ी कढ़ाही में हलावा बनाया जाता है। इसके बाद सब लोग हलवा खाते हैं। इस हलवा सेरेमनी में वित्त मंत्री और वित्त मंत्रालय के सभी अधिकारी भाग लेते हैं। इस सेरेमनी के बाद बजट की छपाई शुरू हो जाती है।
क्या है इसके पीछे का इतिहास ?
हलवा सेरेमनी का आयोजन बजट की पूरी तैयारी हो जाने के बाद किया जाता है। इसका आयोजन वित्त मंत्री के बजट भाषण से पहले होता है। बजट बनाने में लगे लोगों की कई दिनों की मेहनत रंग लाती है इस वजह से इस समय उत्साह का माहौल बना रहता है। भारतीय परंपरा के अनुसार कोई भी अच्छा काम हो जाने पर मीठा खाने और खिलाने की परंपरा है। इसलिए बजट बनाने वाले अधिकारियों का हलवा खिलाकर मुंह मीठा कराया जाता है।
कोविड के समय नहीं हुई थी हलवा सेरेमनी
आपको बता दें कि वर्ष 2022 में कोरोना महामारी के समय प्रोटोकॉल को देखते हुए हलवा सेरेमनी का आयोजन नहीं किया गया था। उस साल बजट का दस्तावेजीकरण भी नहीं हुआ था। उस साल इसे डिजिटल रूप में पेश किया गया था। उस समय हलवा सेरेमनी के बजाय मिठाई बांटी गई थी। कोविड के बाद फिर से हर साल हलवा सेरेमनी का आयोजन होता आ रहा है।
इन लोगों को सख्त नियम का करना होता है पालन
हलवा सेरेमनी के बाद बजट छापने वाले 100 से ज्यादा कर्मचारीयों और अधिकारियों को नॉर्थ ब्लॉक से बाहर जाने की अनुमति नहीं होती है। उन्हें फोन चलाने की भी अनुमति नहीं होती है। यह लोग 10 दिन तक नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में ही रहते हैं। यह लोग वित्त मंत्री के बजट भाषण के बाद ही बाहर निकलते हैं। बजट से जुड़ी किसी प्रकार की कोई भी जानकारी लीक ना हो इसलिए यह नियम तय किये गए हैं।