आरबीआई ने क्यों नहीं घटायी ब्याज दर

गवर्नर ने बताया कारण
RBI
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मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं, नीतिगत दरों में एकबारगी बड़ी कटौती और मुख्य मुद्रास्फीति में वृद्धि के कारण केंद्रीय बैंक ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में यथास्थिति बनाए रखने का फैसला किया है। चालू वित्त वर्ष 2025-26 की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करने के बाद पत्रकारों के साथ बातचीत में मल्होत्रा ने वृद्धि को समर्थन देने के लिए आरबीआई की प्रतिबद्धता की पुष्टि की और कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की 6.5 प्रतिशत की वृद्धि अपेक्षा से धीमी है। छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) सतर्क रहेगी और दरों पर उचित निर्णय लेने के लिए सभी आने वाले आंकड़ों पर नजर रखेगी। 

क्या कहते हैं विश्लेषक : हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि दरों में कटौती की संभावनाएं कम होती जा रही हैं। मल्होत्रा ने कहा, हमने फरवरी से जून तक चार महीने की छोटी अवधि में रेपो दर में एक प्रतिशत की कटौती की है। इसका लाभ अब भी मिल रहा है। शुल्क वार्ताओं और अस्पष्ट भू-राजनीतिक पहलुओं की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर वैश्विक अनिश्चितताएं कायम हैं। इसके अलावा बढ़ती मुख्य मुद्रास्फीति ने भी नीतिगत निर्णय को प्रभावित किया।

क्या है स्थिति : ब्याज दरों में कटौती के बावजूद ऋण वृद्धि में तेजी नहीं आने के बारे में सीधे तौर पर अपने विचार व्यक्त किए बिना गवर्नर ने कहा कि कुछ हद तक लाभ हस्तांतरण अभी होना बाकी है। यदि ब्याज दरें कम होती हैं, तो इससे ऋण में वृद्धि होगी और समग्र वृद्धि की गति भी बढ़ेगी। ऋणदाताओं की ब्याज दरों में आरबीआई द्वारा की गई सभी कटौतियों के परिणाम सामने आने में अधिक समय लगता है। जून में कुल मुद्रास्फीति के घटकर 2.1 प्रतिशत आने की प्रमुख वजह खाद्य मुद्रास्फीति में कमी है। मुख्य मुद्रास्फीति और खाद्य मुद्रास्फीति दोनों ही आंकड़े महत्वपूर्ण हैं और आरबीआई इन पर नजर बनाए हुए है।

फंसा कर्ज : खराब ऋण की स्थिति के संबंध में उन्होंने कहा कि बैंकिंग प्रणाली में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की स्थिति संतोषजनक है, सकल एनपीए 2.2 प्रतिशत है जबकि शुद्ध एनपीए 0.5-0.6 प्रतिशत है।

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