जीएसटी में बदलाव का क्या होगा राज्यों पर असर

जानें क्या कहती है एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट
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नयी दिल्ली : जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने के प्रस्ताव को अमल में लाने से राज्य ‘‘शुद्ध लाभार्थी’’ बने रहेंगे और चालू वित्त वर्ष में उनका माल एवं सेवा कर राजस्व, जिसमें हस्तांतरण भी शामिल है, 14.10 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है। एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।2018 और 2019 में जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने की पिछली प्रक्रिया से स्पष्ट है कि दरों में तत्काल कमी से मासिक संग्रह में लगभग 3-4 प्रतिशत की अल्पकालिक गिरावट आ सकती है (लगभग 5,000 करोड़ रुपये, या वार्षिक 60,000 करोड़ रुपये)। आमतौर पर आगे चलकर राजस्व प्रति माह 5-6 प्रतिशत की दर से बढ़ता है।

दरों और स्लैब को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्तावः केंद्र ने माल एवं सेवा कर के तहत दरों और स्लैब को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव दिया है। इसके तहत पांच और 18 प्रतिशत की दो स्तरीय कर संरचना होगी और कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर 40 प्रतिशत की दर लागू की जाएगी। विपक्षी दलों के शासन वाले आठ राज्यों ने राजस्व क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए कहा है कि प्रस्तावित बदलाव के बाद औसत राजस्व हानि लगभग 1.5-2 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। एसबीआई रिसर्च ने 19 अगस्त, 2025 को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि केंद्र और राज्यों को औसत वार्षिक जीएसटी राजस्व हानि लगभग 85,000 करोड़ रुपये हो सकती है।

लगभग 70 प्रतिशत राज्यों को : अपनी रिपोर्ट में एसबीआई रिसर्च ने कहा कि प्रस्तावित दर युक्तिकरण के बावजूद वित्त वर्ष 2025-26 में भी राज्य जीएसटी संग्रह से शुद्ध लाभार्थी बने रहेंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि जीएसटी केंद्र और राज्यों के बीच समान रूप से साझा किया जाता है, और प्रत्येक को संग्रह का 50 प्रतिशत मिलता है। इसके अलावा कर हस्तांतरण की व्यवस्था के तहत केंद्र का 41 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को वापस जाता है। कुल मिलाकर जीएसटी राजस्व का लगभग 70 प्रतिशत राज्यों को जाता है।

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