

नयी दिल्ली : अमेरिका-भारत के बीच सफल द्विपक्षीय व्यापार समझौता मौजूदा प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल बना सकता है। इससे नए बाजारों तक पहुंच खुल सकती है और निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है। वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
क्या है मामला : भारत और अमेरिका आठ जुलाई से पहले अंतरिम व्यापार समझौते को निष्कर्ष पर पहुंचा सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत में निवेश के लिए आकर्षक गंतव्यों में से एक बने रहने की क्षमता है। वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि विदेशी निवेशक उन नीतियों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दे सकते हैं जो देश की मध्यम अवधि की विकास संभावनाओं को मजबूत करती हैं।
क्या है स्थिति : रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रूप से, देश के युवा कार्यबल के कौशल और उत्पादकता को बढ़ाने वाली नीतियां निवेश और वृद्धि के चक्र को काफी मजबूत कर सकती हैं। भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। जहां विभिन्न वैश्विक एजेंसियों ने अन्य देशों की वृद्धि दर में महत्वपूर्ण कटौती की है, वहीं भारत के मामले में यह सबसे कम है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के विश्व आर्थिक परिदृश्य (अप्रैल 2025) के अनुसार, 2025-26 के लिए भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जो जनवरी, 2025 में इसके पिछले पूर्वानुमान से 0.30 प्रतिशत कम है। ये संशोधन वैश्विक अनिश्चितताओं और व्यापार तनाव को देखते हुए किये गये हैं। मजबूत निजी खपत, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार और मजबूत सेवा निर्यात विकास के प्राथमिक इंजन बने हुए हैं।
मुद्रास्फीति के मामले में दृष्टिकोण आशावादी बना हुआ है। आने वाले समय में रबी की अच्छी फसल, ग्रीष्मकालीन फसलों के तहत रकबे में वृद्धि और खाद्यान्नों के बेहतर बफर स्टॉक के कारण खाद्य मुद्रास्फीति दबाव कम रहने की उम्मीद है। मौसम विभाग का सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान तथा कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट महंगाई में कमी के रुख को मजबूत करती है।