अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता जारी रखनी चाहिए : EAC-PM

भारत के लिए विश्व वस्तु व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कई अवसर हैं
व्यापार वार्ता
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नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के चेयरमैन एस महेंद्र देव ने कहा कि भारत को निर्यात में विविधता लानी चाहिए और मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत तेज करनी चाहिए। साथ ही अमेरिका के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को अंतिम रूप देने के लिए उसके साथ बातचीत जारी रखनी चाहिए।देव ने कहा कि सुरक्षा नीतियों एवं अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कमी के बावजूद भारत के लिए विश्व वस्तु व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कई अवसर हैं। प्रख्यात अर्थशास्त्री ने कहा कि नियम-आधारित विश्व व्यापार संगठन (WTO) सदैव संरक्षणवाद से बेहतर है।

क्या है स्थिति : अमेरिका, भारत पर रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद करने का दबाव बना रहा है। अमेरिका ने 22 अक्टूबर को रूस की दो सबसे बड़ी कच्चा तेल उत्पादक कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा दिए थे। साथ ही सभी अमेरिकी संस्थाओं और लोगों को इन कंपनियों के साथ व्यापार करने पर रोक दिया गया है। अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने पर भारत पर 25 प्रतिशत का जुर्माना लगाया है। यह अमेरिकी बाजारों में प्रवेश करने वाले भारतीय सामानों पर 25 प्रतिशत के जवाबी शुल्क के अतिरिक्त है। कुल मिलाकर भारतीय सामानों पर अमेरिका में 50 प्रतिशत का अतिरिक्त आयात शुल्क लग रहा है। भारत ने इन शुल्कों को ‘‘अनुचित और अविवेकपूर्ण’’ बताया है। भारत जैसे आकार का कोई भी उभरता हुआ बाजार मजबूत निर्यात वृद्धि के बिना एक दशक या उससे अधिक समय तक सात या आठ प्रतिशत की दर से नहीं बढ़ा है।

मध्यम स्तर की विनिर्माण इकाइयां : भारत में 200 से 500 कर्मचारियों वाली कई और मध्यम स्तर की विनिर्माण इकाइयां होनी चाहिए। विनिर्माण क्षेत्र में अन्य बातों के अलावा, बड़ी समस्या यह है कि अधिकतर कंपनियां 10 से कम श्रमिकों के साथ काम कर रही हैं और उनका आकार छोटा है। 1700 में विश्व सकल घरेलू उत्पाद में भारत की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत थी। कुछ अनुमानों से पता चलता है कि 2043 तक विश्व सकल घरेलू उत्पाद में भारत की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत हो जाने की संभावना है। सुधार के बाद के पिछले तीन दशकों में भारत की औसत वृद्धि दर छह से 6.5 प्रतिशत प्रति वर्ष रही है।

निवेश दर : भारत को सात प्रतिशत वृद्धि दर प्राप्त करने के लिए निवेश दर को वर्तमान 31-32 प्रतिशत से बढ़ाकर 34-35 प्रतिशत करने की आवश्यकता है।निजी क्षेत्र को भारत में अधिक निवेश करना चाहिए क्योंकि अब दोहरे बही-खाते की कोई समस्या नहीं है। सरकारी पूंजीगत व्यय बढ़ रहा है। इसका कई गुना प्रभाव पड़ेगा। ग्रामीण और शहरी मांग बढ़ने से निजी निवेश में वृद्धि होगी।

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