सुधारों को और तेजी देने तथा निजी पूंजी जुटाने को बढ़ावा देने की जरूरत

सरकारी कार्यक्रमों ने पुरुषों और महिलाओं के लिए वित्तीय सेवाओं तक पहुंच में उल्लेखनीय सुधार किया है
सुधारों को और तेजी देने तथा निजी पूंजी जुटाने को बढ़ावा देने की जरूरत
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नयी दिल्ली : भारत को 2047 तक 30,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए वित्तीय क्षेत्र में सुधारों को और तेजी देने तथा निजी पूंजी जुटाने को बढ़ावा देने की जरूरत है।विश्व बैंक की वित्तीय क्षेत्र आकलन (एफएसए) रिपोर्ट में यह बात कही गई। इसमें स्वीकार किया गया कि भारत के 'विश्व स्तरीय' डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और सरकारी कार्यक्रमों ने पुरुषों और महिलाओं के लिए वित्तीय सेवाओं तक पहुंच में उल्लेखनीय सुधार किया है। रिपोर्ट में खाता उपयोग को और बढ़ावा देने, और व्यक्तियों तथा एमएसएमई के लिए वित्तीय उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंच को आसान बनाने के सुझाव भी दिए हैं।

एफएसएपी : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक (डब्ल्यूबी) का एक संयुक्त कार्यक्रम एफएसएपी है, जो किसी देश के वित्तीय क्षेत्र का व्यापक और गहन विश्लेषण करता है।

वित्तीय क्षेत्र मूल्यांकन : वित्तीय क्षेत्र आकलन कार्यक्रम (एफएसएपी) सितंबर 2010 से प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण वित्तीय क्षेत्रों वाले क्षेत्राधिकारों के लिए अनिवार्य हो गया है। इस समय भारत सहित 32 क्षेत्राधिकारों के लिए हर पांच साल में और अन्य 15 क्षेत्राधिकारों के लिए हर 10 साल में वित्तीय क्षेत्र मूल्यांकन (एफएसएपी) आयोजित करना अनिवार्य है।एफएसएपी के अंतिम भाग के रूप में आईएमएफ वित्तीय प्रणाली स्थिरता आकलन (एफएसएसए) रिपोर्ट और विश्व बैंक वित्तीय क्षेत्र मूल्यांकन (एफएसए) रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।

आकलन का स्वागत : भारत के लिए पिछला एफएसएपी 2017 में आयोजित किया गया था। एफएसएसए रिपोर्ट आईएमएफ द्वारा दिसंबर 2017 में और एफएसए रिपोर्ट विश्व बैंक द्वारा दिसंबर 2017 में प्रकाशित की गई थी।वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ''भारत, आईएमएफ-विश्व बैंक की संयुक्त टीम द्वारा किए गए वित्तीय क्षेत्र के आकलन का स्वागत करता है।''

वित्तीय प्रणाली मजबूत : विश्व बैंक की हाल के एफएसए रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में पिछले एफएसएपी के बाद से भारत की वित्तीय प्रणाली अधिक मजबूत, विविध और समावेशी हो गई है।इसमें कहा गया कि वित्तीय क्षेत्र में सुधारों ने भारत को 2010 के दशक के विभिन्न संकटों और महामारी से उबरने में मदद की। इस बात पर भी जोर दिया गया है कि ''2047 तक 30,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए निजी पूंजी जुटाने को बढ़ावा देने तथा वित्तीय क्षेत्र के सुधारों को और गति देने जरूरत है।''

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