

मुंबईः भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण जी ने कहा कि पिछले साल 'फिन-इन्फ्लुएंसर' ढांचे के क्रियान्वयन के बाद से सोशल मीडिया मंचों के साथ परामर्श कर 70,000 भ्रामक खाते और ‘पोस्ट’ हटाए गए हैं। नारायण ने कहा कि अपंजीकृत निवेश सलाहकार और शोध विश्लेषक एक ‘‘खतरा’’ हैं, जो निवेश में बढ़ती रुचि का फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने यहां पंजीकृत निवेश सलाहकारों द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ अक्टूबर 2024 से सेबी ने 70,000 से अधिक भ्रामक खातों/‘पोस्ट’ को हटाने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों के साथ काम किया है।’’
सेबी के पूर्णकालिक सदस्य ने कहा कि उन्होंने अनुपालन सुनिश्चित करने में सलाहकारों की मदद मांगी। उन्होंने साथ ही सेबी-पंजीकृत संस्थाओं की पहचान करने में मदद के लिए यूपीआई ‘पेराइट’ खाते और इस दिशा में सेबी के प्रयासों के रूप में वैकल्पिक केंद्रीकृत शुल्क संग्रह तंत्र का उल्लेख किया। वाणिज्यिक बैंकर से नियामक बने नारायण ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) की निकासी पर कहा कि स्थिति उतनी बुरी नहीं है, लेकिन ‘‘ हमें आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए, क्योंकि भारत को विदेशी बचत की आवश्यकता है।’’
क्या है स्थितिः फरवरी 2025 तक एफपीआई के पास भारतीय शेयर में 62 लाख करोड़ रुपये या 700 अरब डॉलर से अधिक और ऋण के रूप में करीब 5.9 लाख करोड़ रुपये या 68 अरब डॉलर थे।पिछले पांच वर्षों में शेयर और ऋण में 54 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी प्रवाह देखा गया है, जो पिछले पांच वर्षों के 19 अरब अमेरिकी डॉलर से बहुत अधिक है। विदेशी निवेशकों की रुचि बनाए रखने के लिए निरंतर वृद्धि, व्यापक आर्थिक स्थिरता और कामकज का उचित माहौल देने की जरूरत है।