रोजगार की मौजूदा प्रकृति-आर्थिक वृद्धि के लिए उपयुक्त हैं नई श्रम संहिताएं

नई श्रम संहिताएं एक गतिशील अर्थव्यवस्था के लिए रुख बदल देने वाले साबित होंगी
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नयी दिल्ली : केंद्रीय श्रम सचिव वंदना गुरनानी ने कहा कि हाल ही में लागू की गई चार श्रम संहिताएं रोजगार की मौजूदा प्रकृति और देश में हो रही आर्थिक वृद्धि के उपयुक्त हैं। गुरनानी ने पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की तरफ से आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि नई श्रम संहिताएं एक गतिशील अर्थव्यवस्था के लिए रुख बदल देने वाले साबित होंगी।पुराने श्रम कानूनों को समाप्त कर संबंधित नियमों को इन चार श्रम संहिताओं में समाहित किया गया है। इन कानूनों को 2019-20 में बनाया गया था और इन्हें 21 नवंबर, 2025 से लागू किया गया है।

नियमों में ढील : उन्होंने अनुपालन नियमों में ढील का उल्लेख करते हुए कहा कि पंजीकरण की संख्या आठ से घटाकर एक कर दी गई है, रिटर्न 31 से घटाकर एक और रजिस्टर 87 से घटाकर आठ कर दिए गए हैं।

न्यूनतम वेतन, अनिवार्य नियुक्ति पत्र : नए श्रम कानून न्यूनतम वेतन, अनिवार्य नियुक्ति पत्र और श्रमिकों के लिए बेहतर सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। साथ ही निरीक्षक-आधारित मार्गदर्शन और आपराधिक दंड में कमी जैसे व्यापार-अनुकूल बदलाव भी किए गए हैं।

लॉजिस्टिक लागत : ‘हरित, स्मार्ट और टिकाऊ लॉजिस्टिक क्षमता के जरिए निर्यात वृद्धि’ पर आयोजित इस सम्मेलन में लॉजिस्टिक लागत घटाने, दक्षता बढ़ाने और आर्थिक वृद्धि को गति देने से जुड़े सरकारी सुधारों और उद्योग पहलों का जिक्र किया गया।उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के निदेशक (लॉजिस्टिक) सागर कडू ने एक हालिया अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि लॉजिस्टिक लागत देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 7.9 प्रतिशत आंकी गई है, जो बड़ी कंपनियों के लिए कम और एमएसएमई के लिए अधिक है।

लॉजिस्टिक बाजार : सेफएक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष अनिल स्याल ने कहा कि लॉजिस्टिक बाजार एक दशक पहले 120 अरब डॉलर का था, जो अब बढ़कर 260 अरब डॉलर हो गया है और जल्द ही इसके 350 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। केंद्रीय भंडारण निगम के निदेशक (विपणन एवं क्षमता नियोजन) सैमुअल प्रवीण कुमार ने लॉजिस्टिक क्षेत्र को अधिक कुशल और लागत प्रभावी बनाने के लिए प्रौद्योगिकी, स्वचालन, नवाचार और हरित ऊर्जा के महत्व पर जोर दिया।

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